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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने महिला पर्यवेक्षक भर्ती-2018 का पेपर लीक करने वाले तुलछाराम और नकल कर परीक्षा पास करने वाली मंजू भामू की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है। जस्टिस आशुतोष कुमार की एकलपीठ ने यह आदेश दोनों आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राजकीय सेवा के लिए अभ्यर्थी दिन रात मेहनत और लगन से पढाई करते हैं। पेपर लीक से उनकी मेहनत बेकार चली आती है। वहीं इन दिनों नकल के मामले काफी बढ रहे हैं। ऐसे में आरोपिताें को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।
मंजू भामू की ओर से दायर जमानत याचिका में कहा गया कि उससे किसी तरह की बरामदगी नहीं है। वहीं उसे गिरफ्तार करने समय गिरफ्तार करने का आधार तक नहीं बताया गया। वह गत 19 फरवरी से जेल में बंद है। जिसके चलते उसकी तीन साल की बच्ची की परवरिश प्रभावित हो रही है। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए। दूसरी ओर तुलछाराम की ओर से कहा गया कि उसके खिलाफ 14 मामले दर्ज हुए थे, लेकिन अधिकांश में वह दोषमुक्त हो चुका है और कई मामले में उसे जमानत का लाभ मिल चुका है। उसके खिलाफ जांच पूरी कर आरोप पत्र पेश किया जा चुका है और वह गत 9 जनवरी से जेल में बंद है। इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए। जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील विवेक शर्मा ने कहा कि तुलछाराम ने अपने अन्य सहयोगियों के जरिए भर्ती का पेपर लीक किया और उसे मंजू भामू को पांच लाख रुपये में दिया। वहीं कई अन्य अभ्यर्थियों को भी नकल कराई। वहीं मंजू ने पेपर खरीद कर आरोपित के सहयोग ने ब्ल्यूटूथ के जरिए नकल कर परीक्षा पास की। ऐसे में दोनों आरोपिताें की जमानत याचिकाओं को खारिज किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
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