राज्य की भजनलाल सरकार ने हाल ही में चार नए कानूनों का मसौदा तैयार कर संशोधित विधेयक विधानसभा में पेश किए थे। सदन में इन विधेयकों के पारित होने के बाद इन्हें राज्यपाल के पास भेजा गया था। राज्यपाल ने चारों विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी है। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े की मंजूरी मिलते ही संशोधित विधेयकों ने कानून का रूप ले लिया। इन चारों कानूनों को तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया गया। यानी राजस्थान में भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए नए कानून अस्तित्व में आ गए हैं। आइए जानते हैं राजस्थान में कौन-कौन से नए कानून बनाए गए हैं...
1. मीसा बंदियों को पेंशन और चिकित्सा भत्ता देने का कानून
सरकार ने आपातकाल के दौरान जेल जाने वालों को लोकतंत्र का रक्षक माना है। जब भी भाजपा सत्ता में आती है तो मीसा बंदियों के लिए पेंशन शुरू करती है लेकिन कांग्रेस सत्ता में आती है तो पेंशन बंद कर देती है। अब भजनलाल सरकार ने मीसा बंदियों के लिए कानून बनाया है। राजस्थान लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक 2024 को पारित कर कानून का रूप दे दिया गया है। अब मीसा बंदियों को 20 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलेगी। साथ ही चार हजार रुपए प्रतिमाह चिकित्सा भत्ता दिया जाएगा। रोडवेज बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा भी दी गई है। सैनिक की मृत्यु होने पर पत्नी या पति को आजीवन ये सुविधाएं मिलती रहेंगी।
2. पुराने अनुपयोगी कानून समाप्त
पिछले विधानसभा सत्र में भाजपा सरकार राजस्थान विधि निरसन अधिनियम 2025 लेकर आई थी। इसके तहत अनुपयोगी कानूनों को समाप्त करने का निर्णय लिया गया। ये पुराने कानून पंचायती राज विभाग से संबंधित थे, जिनका वर्तमान समय में कोई उपयोग नहीं था। विधानसभा में विधेयक पेश कर इन पुराने कानूनों को समाप्त करने का विधेयक पारित किया गया। राज्यपाल की मंजूरी के बाद 45 कानून समाप्त कर दिए गए।
3. कुलपति को अब कुलपति कहा जाएगा
अभी तक राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपति होते थे, जिनके पदनाम के लिए राज्य सरकार ने संशोधित विधेयक पेश किया था। राजस्थान विश्वविद्यालय विधि संशोधन विधेयक 2025 के तहत कुलपति का नाम वाइस चांसलर रखा गया। हालांकि अंग्रेजी में पदनाम वाइस चांसलर ही रखा गया है। इस विधेयक को मंजूरी मिलने के साथ ही कुलपतियों का पदनाम अब कुलाधिपति हो गया है। विश्वविद्यालयों में यह पद मुख्य कार्यकारी और शैक्षणिक अधिकारी का होता है जो सबसे बड़ा होता है।
4. निकायों में जजों की नियुक्ति नहीं होगी
राज्य सरकार ने राजस्थान विधि संशोधन अधिनियम-2025 पारित कर राज्य के स्थानीय निकायों में जजों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है। सरकार का मानना है कि स्थानीय निकायों में जजों की नियुक्ति की जरूरत नहीं है। इस विधेयक को राज्यपाल ने भी मंजूरी दे दी है। अब राजस्थान नगर सुधार न्यास एवं प्राधिकरणों में जजों की नियुक्ति नहीं होगी। यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले के बाद ही लाया गया था। सरकार के इस फैसले से प्राधिकरण की शक्तियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सभी निकायों में पहले की तरह समान सेवा शर्तें लागू रहेंगी।
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