गंभीर व असाध्य रोगों से पीड़ित जो लोग अंतिम चरण में हैं, उन्हें अब अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नर्सिंग स्टाफ व जरूरत पड़ने पर डॉक्टर उनके घर जाकर उनका इलाज करेंगे। नर्सिंग स्टाफ मरीजों को डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा लेने का तरीका भी बताएगा। अगर मरीज की हालत बहुत गंभीर है तो डॉक्टर से परामर्श के बाद दवा भी बदली जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत पाली व अजमेर में इस होम बेस्ड पैलिएटिव केयर सुविधा को शुरू करने का प्रस्ताव है। अगर यह सफल रहा तो इसे पूरे प्रदेश में शुरू किया जाएगा।
इन बीमारियों में उपयोगी है होम पैलिएटिव केयर
-कैंसर, हृदय रोग, किडनी फेलियर, गंभीर लीवर रोग, न्यूरोलॉजिकल रोग, बुजुर्गों में कई क्रॉनिक कंडीशन आदि।
-दर्द, उल्टी, सांस फूलना, बेचैनी आदि से मरीज को राहत देना। इसके लिए दवा के साथ अन्य तरीकों से नियंत्रण किया जाता है।
-रोगी व परिवार को मानसिक तनाव, चिंता व अवसाद से दूर रखना। काउंसलिंग के जरिए भावनात्मक सहयोग प्रदान करना।
-इससे मरीज की आस्था और विश्वास के अनुसार आध्यात्मिक सहायता भी मिलती है।
-परिवार के सदस्य भी मरीज की बेहतर देखभाल कर पाते हैं। उन्हें अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ती।
-मरीज के घर पर रहने से इलाज और खर्च भी कम हो जाता है।
परियोजना का उद्देश्य
गृह आधारित प्रशामक देखभाल परियोजना का उद्देश्य गंभीर या असाध्य रोगियों की उनके घर पर ही देखभाल करना है, ताकि उन्हें अस्पताल में अकेले न रहना पड़े और वे अपने परिजनों के बीच घर पर ही रह सकें। इसका उद्देश्य मरीज और उसके परिजनों को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक राहत प्रदान करना है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर को मरीज के बारे में पूरी जानकारी होगी और अनावश्यक भागदौड़ में लगने वाला समय बचेगा और परिजन भी निश्चिंत रहेंगे।पाली और अजमेर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत गृह आधारित प्रशामक देखभाल शुरू की जानी है। इसमें मेडिकल स्टाफ ऐसे मरीजों की घर पर ही जांच करेगा, जो अंतिम चरण में हैं। इससे वे लोग अस्पताल की बजाय पूरे परिवार के साथ रह सकेंगे और उन्हें बेहतर अनुभव होगा।
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