राजस्थान को आमतौर पर रेगिस्तान, किले और राजसी परंपराओं के लिए जाना जाता है। लेकिन अब इस राज्य का एक हिस्सा अपनी प्राकृतिक सुंदरता और नीले पानी के बीच फैले द्वीपों के कारण ‘राजस्थान का लक्षद्वीप’ कहलाने लगा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं बाँसवाड़ा जिले की – जो इन दिनों डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए तेजी से उभरता नया केंद्र बन रहा है।बाँसवाड़ा, राजस्थान का दक्षिणी जिला है जो गुजरात की सीमा से सटा हुआ है। यह जिला कभी राजाओं की रियासत रहा करता था और अब अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाने लगा है। खास बात यह है कि इस जिले में 100 से भी ज्यादा छोटे-बड़े द्वीप हैं, जो इसे एक द्वीप प्रदेश जैसी छवि देते हैं – ठीक वैसे ही जैसे लक्षद्वीप या अंडमान-निकोबार।
क्यों कहा जाता है बाँसवाड़ा को 'राजस्थान का लक्षद्वीप'?
बाँसवाड़ा जिले की प्राकृतिक खासियत यह है कि यहाँ माही नदी और उसके ट्राइब्यूटरीज पर बने बाँधों से जलाशय फैले हुए हैं। माही बाँध के जलाशय में स्थित ये 100 से अधिक द्वीप बारिश के मौसम के बाद और भी खूबसूरत दिखते हैं। जब पानी चारों ओर फैला होता है और हरियाली अपनी पूरी शबाब पर होती है, तब बाँसवाड़ा का दृश्य किसी फिल्मी सेट जैसा लगता है।इन द्वीपों में घूमने-फिरने के साथ अब बोटिंग, फोटोग्राफी और प्री-वेडिंग शूट्स का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है। नीले जल, खुले आसमान और हरियाली से घिरे इन द्वीपों के बीच जब किसी कपल की शादी होती है, तो वह पल सिर्फ यादगार ही नहीं बल्कि बेहद खास भी बन जाता है।
डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए आदर्श स्थान
बाँसवाड़ा में अब कई निजी रिसॉर्ट्स, हेरिटेज होटल्स और फार्महाउस इस प्राकृतिक वातावरण को देखते हुए डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए बुक किए जा रहे हैं। राजस्थानी संस्कृति की पारंपरिक छटा और यहाँ की शांति, इन सबके मेल से बाँसवाड़ा एक परफेक्ट वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में सामने आया है। कुछ आयोजकों के अनुसार, बाँसवाड़ा की तुलना में दूसरे लोकप्रिय डेस्टिनेशन वेडिंग लोकेशनों जैसे उदयपुर या जयपुर की लागत कहीं ज्यादा होती है, जबकि यहाँ नज़ारा और अनुभव किसी भी मामले में कम नहीं।
प्री-वेडिंग शूट्स और सोशल मीडिया का ट्रेंड
सोशल मीडिया की इस दौर में लोग अपनी शादियों को यादगार बनाने के लिए खास और यूनिक जगहें तलाशते हैं। ऐसे में बाँसवाड़ा के द्वीप, झीलें और पुराने महल एकदम उपयुक्त लोकेशन साबित हो रहे हैं। कुछ प्री-वेडिंग फोटोशूट्स तो बाँसवाड़ा के ऐतिहासिक गढ़, 'बाँसवाड़ा किला', या 'बद्री महल' जैसी जगहों पर भी कराए जा रहे हैं। वहीं जलाशयों के किनारे खड़े होकर सूर्यास्त के समय लिए गए फोटो, किसी बॉलीवुड सीन से कम नहीं दिखते।
पर्यटन विकास की अपार संभावनाएँ
राज्य सरकार और पर्यटन विभाग अब बाँसवाड़ा को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं। यहाँ एडवेंचर टूरिज्म, इको टूरिज्म और कल्चरल टूरिज्म को बढ़ावा देने की योजना है। कुछ निजी होटल समूह भी यहाँ निवेश में रुचि दिखा रहे हैं। सरकार यदि सुविधाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर को और बेहतर बना दे, तो बाँसवाड़ा केवल राजस्थान ही नहीं, पूरे भारत के सबसे अनूठे डेस्टिनेशन वेडिंग स्थल के रूप में उभर सकता है।
स्थानीय संस्कृति और मेहमाननवाज़ी
बाँसवाड़ा की भील जनजाति और यहाँ की पारंपरिक लोक संस्कृति भी लोगों को बहुत आकर्षित करती है। शादी के अवसरों पर आयोजित होने वाले लोकनृत्य, पारंपरिक वेशभूषा और मेहमानों के स्वागत की स्थानीय शैली, वेडिंग को और भी खास बना देती है। मेहमानों को लगता है मानो वे सिर्फ एक शादी में नहीं बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक उत्सव में शामिल हो रहे हों।
बाँसवाड़ा: प्रकृति और परंपरा का अद्भुत संगम
बाँसवाड़ा एक ऐसा स्थल बनता जा रहा है जहाँ प्रकृति की गोद में परंपरा की गूंज सुनाई देती है। यहाँ की हरियाली, शांत वातावरण, नीला जल और लोकसंस्कृति – यह सब मिलकर बाँसवाड़ा को उन लोगों के लिए स्वर्ग बना देते हैं, जो भीड़-भाड़ से दूर, सादगी और प्राकृतिक सौंदर्य के बीच अपनी शादी को यादगार बनाना चाहते हैं।
बाँसवाड़ा अब केवल राजस्थान का एक दूरदराज़ जिला नहीं रहा, बल्कि यह पर्यटन और खासकर डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभर रहा है। इसकी तुलना यदि लक्षद्वीप से की जा रही है, तो वह केवल एक उपमा नहीं बल्कि इसकी प्राकृतिक सुंदरता का सच्चा प्रतिबिंब है। आने वाले समय में यदि यहाँ पर्यटन को सही दिशा दी जाए, तो बाँसवाड़ा न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर भी अपनी खास पहचान बना सकता है।
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