भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में 7 मई (6 और 7 मई की दरमियानी रात) को पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में आतंकी ठिकानों पर हमला किया है। इस कार्रवाई को 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम दिया गया और इसमें 9 आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सेना की तीनों डिविजनों के इस संयुक्त ऑपरेशन की जानकारी दिल्ली में मीडिया को दी। इसमें सेना की ओर से कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना की ओर से विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने विस्तार से बताया कि इस ऑपरेशन की जरूरत क्यों पड़ी। इस ब्रीफिंग के 10 मुख्य बिंदु-:
पहलगाम हमले का मकसद कश्मीर में अशांति फैलाना था
1- 22 अप्रैल 2025 को हुआ हमला जम्मू-कश्मीर में शांति की स्थिति को बिगाड़ने के लिए किया गया था। पिछले साल कश्मीर में 2.25 करोड़ से ज्यादा पर्यटक आए थे। इस हमले का मुख्य उद्देश्य विकास और प्रगति को नुकसान पहुंचाकर केंद्र शासित प्रदेश को पिछड़ा बनाए रखना और पाकिस्तान की ओर से जारी सीमा पार आतंकवाद के लिए उपजाऊ जमीन तैयार करने में मदद करना था। हमले का यह तरीका जम्मू-कश्मीर और अन्य इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़काने से भी प्रेरित था।
2 - खुद को रेजिस्टेंस फ्रंट टीआरएफ (TRF) कहने वाले एक समूह ने इसकी जिम्मेदारी ली है। यह समूह संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ है। उल्लेखनीय है कि भारत ने मई और नवंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र 1267 समिति की प्रतिबंध निगरानी टीम को अर्धवार्षिक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें टीआरएफ के बारे में भी इनपुट दिए गए थे। इससे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के लिए टीआरएफ की भूमिका का पता चला।
3 - भारत ने पहले दिसंबर 2023 में इस टीम को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के बारे में टीआरएफ जैसे छोटे आतंकवादी संगठनों के माध्यम से काम करने की जानकारी दी थी। पाकिस्तान ने 25 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रेस बयान से टीआरएफ का संदर्भ हटाने के लिए दबाव डाला था। पहलगाम आतंकी हमले की जांच में पाकिस्तान के साथ आतंकवादियों के संबंधों का पता चला है। रेजिस्टेंस फ्रंट के दावे और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े सोशल मीडिया हैंडल से इसकी रीपोस्टिंग इसकी पुष्टि करती है।
4 - प्रत्यक्षदर्शियों और जांच एजेंसियों को मिली अन्य जानकारी के आधार पर हमलावरों की पहचान भी कर ली गई है। हमारी खुफिया टीम ने इस हमले के साजिशकर्ताओं और उनके समर्थकों के बारे में जानकारी जुटाई है। इस हमले की रूपरेखा भारत में सीमा पार आतंकवाद को अंजाम देने के पाकिस्तान के लंबे ट्रैक रिकॉर्ड से भी जुड़ी हुई है, जिसके लिखित और स्पष्ट दस्तावेज उपलब्ध हैं। पाकिस्तान ने आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह के रूप में वैश्विक प्रतिष्ठा अर्जित की है।
5 - हमलों के एक पखवाड़े बाद भी पाकिस्तान ने अपने क्षेत्र या अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादी ढांचे को खत्म करने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। इसके बजाय, वह इनकार और आरोप लगाने में लिप्त है। पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर नज़र रखने वाली हमारी खुफिया निगरानी ने संकेत दिया है कि भारत के खिलाफ और हमले संभव हैं। इसलिए, इन्हें रोकने के लिए, भारत ने आज सुबह सीमा पार हमलों का जवाब देने और उन्हें रोकने के अपने अधिकार का प्रयोग किया है। यह नपा-तुला, गैर-उत्तेजक, आनुपातिक और जिम्मेदाराना है। यह आतंकवाद के बुनियादी ढांचे और संभावित हमलों को निष्क्रिय करने पर केंद्रित है।
6 - पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय दिलाने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया था। यह ऑपरेशन 6 और 7 मई की मध्यरात्रि को 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच हुआ।
ऑपरेशन सिंदूर में 7 - 9 आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया और पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। पिछले तीन दशकों में, पाकिस्तान ने व्यवस्थित रूप से आतंकी बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है। यह भर्ती और प्रशिक्षण केंद्रों, प्रेरण और पुनश्चर्या पाठ्यक्रमों के लिए प्रशिक्षण क्षेत्रों और गुर्गों के लिए लॉन्चपैड का एक जटिल जाल है। ये पाकिस्तान और पाक अधिकृत जम्मू और कश्मीर (POJK) दोनों में फैले हुए हैं।
पहलगाम के हमलावरों ने सवाई नाला कैंप से ट्रेनिंग ली थी
8 - ये कैंप उत्तर में सवाई नाला से लेकर दक्षिण में बहावलपुर तक फैले हुए हैं। इनकी संख्या करीब 21 है। पाक अधिकृत कश्मीर में इन 5 कैंपों पर हमला हुआ -
सबसे पहले सवाई नाला कैंप, मुजफ्फराबाद पर हमला हुआ, जो पीओजेके की नियंत्रण रेखा से 30 किलोमीटर दूर है। यह लश्कर-ए-तैयबा का ट्रेनिंग सेंटर था। यहीं से 20 अक्टूबर 2024 को सोनमर्ग, 24 अक्टूबर 2024 को गुलमर्ग और 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम पर हमला करने वाले आतंकियों ने ट्रेनिंग ली थी।
सैयदना बिलाल कैंप, मुजफ्फराबाद को निशाना बनाया गया, जो जैश-ए-मोहम्मद का ठिकाना है और हथियारों, विस्फोटकों और जंगल में बचने की ट्रेनिंग का केंद्र था।
गुलपुर कैंप, कोटली एलओसी से 30 किलोमीटर दूर है और लश्कर-ए-तैयबा का बेस था और राजौरी पुंछ में सक्रिय था। 20 अप्रैल 2023 को पुंछ पर हमला करने वाले और 9 जून 2024 को तीर्थयात्रियों की बस पर हमला करने वाले आतंकियों को इसी कैंप में ट्रेनिंग दी गई थी।
बरनाला कैंप, भीमबर एलओसी से 9 किलोमीटर दूर है। यहां हथियार चलाने की आईडी और जंगल में बचने की ट्रेनिंग सेंटर था।
अब्बास कैंप, कोटली एलओसी से 13 किलोमीटर दूर है, जहां लश्कर-ए-तैयबा के फिदायीन तैयार किए जाते थे। इस कैंप में 15 आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा सकती थी।
9 - पाकिस्तान के अंदर इन 4 आतंकी कैंपों को बनाया गया निशाना -
सरजाल कैंप - यह सांबा कटवा के सामने है, जो भारत और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर दूर है। मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के चार जवानों की हत्या करने वाले आतंकियों को इसी कैंप में ट्रेनिंग दी गई थी।
महमूना जया कैंप, सियालकोट - यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 18 से 12 किलोमीटर दूर था, जहां हिजबुल मुजाहिदीन का एक बड़ा कैंप था। यह कटवा जम्मू क्षेत्र में आतंक फैलाने का नियंत्रण केंद्र था। पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हमले की योजना इसी कैंप में बनाई गई और उसे अंजाम दिया गया।
मरकज तबा, मुरीदके - यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 18 से 25 किलोमीटर दूर स्थित एक कैंप है। 2008 के मुंबई हमले के आतंकवादियों को यहीं प्रशिक्षित किया गया था। अजमल कसाब और डेविड हेडली को भी यहीं प्रशिक्षित किया गया था।
मरकज सुभान अल्लाह, बहावलपुर - यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर दूर है, जहां जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था।
10 - आतंकवादी गतिविधियों की रीढ़ तोड़ने के लिए विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं के आधार पर इन लक्ष्यों का चयन किया गया था। यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखा गया था कि निर्दोष नागरिकों और नागरिक प्रतिष्ठानों को नुकसान न पहुंचे। आतंकवादी शिविरों पर हमले सटीक तकनीक का उपयोग करके किए गए थे जिसमें अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया था और वारहेड्स का सावधानीपूर्वक चयन किया गया था। ये हमले एक विशिष्ट इमारत या इमारतों को निशाना बनाकर किए गए। किसी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया।
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