पाली में चल रही कपड़ा फैक्ट्रियों से निकलने वाला रासायनिक पानी लूनी नदी में छोड़े जाने से बालोतरा जिले के हजारों किसानों के सामने फिर संकट खड़ा हो गया है। कई वर्षों से लूनी नदी में छोड़े जा रहे प्रदूषित पानी का खामियाजा किसान भुगत रहे हैं। महीनों तक नदी में पानी भरा रहने से जलस्रोत खराब हो रहे हैं। हालात यह हैं कि कृषि कुओं का पानी मटमैला हो गया है। इससे सिंचाई करने पर जहां फसलें नष्ट हो रही हैं, वहीं कृषि भूमि बंजर होती जा रही है।
किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी
बुधवार को रीको के पूर्व निदेशक सुनील परिहार ने हालात का जायजा लिया। उन्होंने सरकार से इस तरह से खेतों में पानी छोड़े जाने के आपराधिक कृत्य की जांच करने की मांग की है। उन्होंने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि समय रहते पानी नहीं रोका गया तो वे किसानों के साथ आंदोलन करेंगे और इस क्षेत्र में एक बूंद भी पानी नहीं आने देंगे। दरअसल, पिछले वर्ष लूनी नदी में रासायनिक पानी बहने के कारण सैकड़ों किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इस पर जिला प्रशासन, राजस्व विभाग, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल व स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मौके पर पहुंचकर किसानों को पानी की रोकथाम का आश्वासन दिया था, लेकिन नतीजा शून्य रहा। दो माह पूर्व भी पाली की इकाइयों से लूणी नदी में रासायनिक पानी छोड़ा गया था।
चार दिन पहले बालोतरा सीमा तक पहुंचा था पानी
अब इस वर्ष फिर शनिवार शाम को तेज बहाव के साथ जिले की सीमा पर स्थित रामपुरा गांव में पहुंचा पानी समदड़ी सीमा तक पहुंच गया। रामपुरा-अजीत गांव में ढाई से तीन फीट तक पानी बह रहा है। इससे लूणी नदी के किनारे बसे गांवों के ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है। लूणी में प्रदूषित पानी अभी पूरी तरह सूखा भी नहीं था कि जलस्रोत फिर खराब होने लगे हैं। अजीत। रामपुरा सीमा में लूणी नदी की पुलिया से बहता रासायनिक पानी व एक खेत में भरा रासायनिक पानी। ग्रामीणों ने बताया कि रामपुरा व अजीत सीमा में ढाई से तीन फीट तक रासायनिक पानी बह रहा है।
परिहार ने कहा- अपराध करने वाले उद्योगों पर आर्थिक दंड लगाया जाए
रीको निदेशक सुनील परिहार ने मीडिया से बातचीत में कहा- रासायनिक पानी पिछले 20 वर्षों से आ रहा है। यह अलग-अलग चरणों में आ रहा है। इस बार यह अप्रत्याशित रूप से अप्रैल माह में आया। बारिश के दौरान यह नेहरदा बांध व अन्य बांधों से आता था। इस बार यह पानी छोड़कर अपराध किया है। यह सब जिला प्रशासन की नाकामियों के कारण हुआ है। समदड़ी, सिवाना क्षेत्र के किसान सक्षम हैं। उन्होंने मेहनत कर अनार सहित विभिन्न खेती की है। दो दिन के पानी ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। किसान अब पलायन की स्थिति में हैं। सरकार से मांग है कि रासायनिक पानी छोड़कर किए गए अपराध की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। किसानों को हुए नुकसान की भरपाई की जानी चाहिए। अपराध करने वाले उद्योगों पर आर्थिक दंड लगाकर व्यवस्था में सुधार किया जाना चाहिए। मैं सरकार को चेतावनी देना चाहता हूं कि यदि यह पानी दोबारा छोड़ा गया तो पूरे क्षेत्र के किसानों द्वारा व्यापक आंदोलन किया जाएगा। लूणी नदी में तेजी से पानी बढ़ रहा है
पानी की तेज गति के कारण समदड़ी सीमा तक पानी पहुंच गया था। पिछले पांच वर्षों से पाली की इकाइयों से नियमित रूप से लूणी नदी में रासायनिक पानी छोड़ा जा रहा है। रिसाव के कारण जलस्रोत क्षतिग्रस्त हो गए हैं। पिछले वर्ष भी मानसून की बारिश से पहले लूणी नदी में रासायनिक पानी छोड़ा गया था। इससे पहले 2023 में भी बड़े पैमाने पर प्रदूषित पानी नदी में छोड़ा गया था। रीको के पूर्व निदेशक के साथ किसान नेता मोहनलाल माली, आनंदाराम माली, शंकरलाल माली, सेवादल कांग्रेस के जिला संगठन मंत्री मदनलाल माली, ब्लॉक कांग्रेस प्रवक्ता अरुण व्यास, राजेंद्र प्रजापत, पुखराज चांदोरा, देवाराम प्रजापत, डूंगर माली, श्रवण गहलोत, ईश्वर प्रजापत, विकास माली, गणपत लाल माली, कानाराम चौधरी आदि मौजूद थे।
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