प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने नेशनल हेराल्ड अख़बार से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दाख़िल किया है.
कांग्रेस ने ईडी के इस कदम को 'बदले की राजनीति बताया है और कहा है कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री धमका रहे हैं.'
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ ईडी ने इस मामले से जुड़ी जाँच के बाद कांग्रेस के इन दो वरिष्ठ नेताओं के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल की. विशेष जज विशाल गोग्ने ने 9 अप्रैल को दायर इस चार्जशीट का संज्ञान लिया और मामले की सुनवाई की तारीख़ 25 अप्रैल तय की है.
चार्जशीट में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और राजीव गांधी फाउंडेशन के ट्रस्टी सुमन दुबे को भी अभियुक्त बनाया गया है.
इस महीने की शुरुआत में ईडी ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड यानी एजेएल की 661 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी.

जाँच एजेंसी ईडी ने औपचारिक तौर पर दिल्ली, मुंबई और लखनऊ के प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया था और इन संपत्तियों का फिज़िकल पज़ेशन लेने की मंशा ज़ाहिर कर दी थी.
नेशनल हेराल्ड अख़बार का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) करती है जिसका मालिकाना हक़ यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के पास है. कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों की हिस्सेदारी है.

साल 2022 में कंपनी में कथित तौर पर वित्तीय अनियमितताओं की जाँच के लिए ईडी ने केस दर्ज किया था और सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पूछताछ के लिए समन भी किया था.
ईडी ने नेशनल हेराल्ड की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग क़ानून (पीएमएलए) के सेक्शन 8 के नियम 5 (1) के तहत की है.
इसके तहत वो जब्त की गई संपत्तियों पर कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है. इस कार्रवाई के मुताबिक़ संपत्ति पर काबिज़ लोगों को संपत्ति और इसका परिसर खाली करने को कहा गया है.
ऐसा ही एक नोटिस जिंदल साउथ वेस्ट प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को भी जारी किया गया था, जिसका कब्जा मुंबई की बांद्रा (पूर्व) स्थित हेराल्ड हाउस बिल्डिंग की 7वीं से लेकर 9वीं मंजिल पर है.
कंपनी को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपना किराया या लीज़ पेमेंट ईडी को देना शुरू करे.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, "नेशनल हेराल्ड की संपत्ति जब्त करना क़ानून के शासन के नाम पर राज्य-प्रायोजित अपराध है."
उन्होंने लिखा, "श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कुछ अन्य लोगों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दाख़िल करना प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की ओर से बदले की राजनीति और धमकी के अलावा कुछ नहीं है."
जयराम रमेश ने लिखा, "कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं रहेगा. सत्यमेव जयते."


यह मामला नेशनल हेराल्ड अख़बार से जुड़ा है, जिसकी स्थापना साल 1938 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी. उस समय से यह अख़बार कांग्रेस का मुखपत्र माना जाता रहा था.
अख़बार का मालिकाना हक़ 'एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड' यानी 'एजेएल' के पास था, जो दो और अख़बार भी छापा करती थी. हिंदी में 'नवजीवन' और उर्दू में 'क़ौमी आवाज़'.
आज़ादी के बाद साल 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को ग़ैर व्यावसायिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट की धारा 25 के अंतर्गत इसे कर मुक्त भी कर दिया गया.
साल 2008 में 'एजेएल' के सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया गया और कंपनी पर 90 करोड़ रुपये का क़र्ज़ भी चढ़ गया.
फिर कांग्रेस नेतृत्व ने 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' नाम की एक नई ग़ैर व्यावसायिक कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया.
इस नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे.
कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी को 90 करोड़ रुपये बतौर ऋण भी दे दिया. इस कंपनी ने 'एजेएल' का अधिग्रहण कर लिया.
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने साल 2012 में एक याचिका दायर कर कांग्रेस के नेताओं पर 'धोखाधड़ी' का आरोप लगाया था. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' ने सिर्फ़ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का उपाय निकाला जो 'नियमों के ख़िलाफ़' है.
याचिका में आरोप लगाया गया कि 50 लाख रुपये में नई कंपनी बनाकर 'एजेएल' की 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को 'अपना बनाने की चाल' चली गई.
दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में चार गवाहों के बयान दर्ज किए थे. 26 जून, 2014 को अदालत ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित नई कंपनी में निदेशक बनाए गए सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और मोतीलाल वोरा को पेश होने का समन भेजा था.
अदालत ने 'यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड' के सभी निदेशकों को 7 अगस्त, 2014 को अपने सामने पेश होने का निर्देश दिया था.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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