बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है.
लालू प्रसाद यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर , "अब पार्टी और परिवार में तेज प्रताप यादव की किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं होगी."
लालू यादव ने यह क़दम 24 मई को तेज प्रताप यादव के फ़ेसबुक पर किए गए एक पोस्ट के बाद उठाया है. इस पोस्ट में तेज प्रताप एक लड़की से बीते 12 साल के प्रेम संबंध की बात स्वीकार कर रहे हैं.
हालांकि, बाद में तेज प्रताप यादव ने यह फ़ेसबुक पोस्ट डिलीट करते हुए लिखा कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट को हैक किया गया है.
लेकिन तेज प्रताप यादव के इस पोस्ट से बिहार में राजनीतिक बहस तेज़ हो गई है.
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यह पोस्ट इस संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है कि बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इस वजह से सारे घटनाक्रम को राजनीतिक तौर पर भी देखा जा सकता है.
ऐसे में लालू यादव के इस फ़ैसले के राजनीतिक मायने क्या हैं?

तेज प्रताप यादव ने पहला चुनाव साल 2015 में वैशाली की से लड़ा था. इसके बाद 2020 में उन्होंने सीट बदलते हुए समस्तीपुर ज़िले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा.
अक़्सर माथे पर चंदन लगाकर दिखने वाले तेज प्रताप कभी भगवान कृष्ण तो कभी शिव का रूप धारण करते हैं. वो कई बार सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी नज़र आए हैं. राजनीति में वह ख़ुद को '' बताते हुए कई मौक़ों पर कह चुके हैं, "."
लेकिन तेज प्रताप का सार्वजनिक व्यवहार लालू परिवार को कई बार असहज करता रहा है.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने को उतारा था. चुनाव से पहले उन्होंने लालू राबड़ी मोर्चा बनाया था और कहा था कि 'तेजस्वी यादव के आसपास चापलूस ज्यादा हैं.'
इस चुनाव में जहानाबाद लोकसभा सीट से आरजेडी प्रत्याशी सुरेन्द्र यादव महज 1,751 वोट से हारे थे, जबकि तेज प्रताप समर्थित उम्मीदवार चंद्र प्रकाश को 7,755 वोट मिले थे.
कुछ साल पहले ही तेज प्रताप यादव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी मोर्चा खोल दिया था. इसके अलावा कई ऐसी घटनाएं घटीं, जिसने लालू परिवार को असहज किया.
वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शर्मा बीबीसी से कहते हैं, "तेज प्रताप विद्रोह करते हैं. वो बार-बार तेजस्वी को चैलेंज करने की कोशिश करते हैं लेकिन तेजस्वी बहुत आगे निकल गए हैं. इसका ये मतलब कतई नहीं है कि तेज प्रताप की स्वीकार्यता परिवार के भीतर नहीं है. परिवार के भीतर उनको बहुत स्पेस है. मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा कि कुछ दिन बाद ही तेज प्रताप की तस्वीर या वीडियो लालू जी या राबड़ी जी के साथ दिखे."
क्या बिहार चुनाव तेज प्रताप पर कार्रवाई की वजह है?तेजस्वी और तेज प्रताप यादव, दोनों ही पहली बार साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव लड़े.
आरजेडी प्रवक्ता चितरंजन गगन बताते हैं, "साल 2013 में युवा आरजेडी की कमान तेजस्वी जी ने संभाली तो उन्होंने बिहार के हर ज़िले में शराब के ख़िलाफ़ कार्यक्रम चलाया- जिसका नारा था मदिरालय नहीं पुस्तकालय चाहिए, शराब नहीं क़िताब चाहिए. इसी के आसपास तेज प्रताप जी भी सार्वजनिक कार्यक्रम कर रहे थे."
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि तेजस्वी ने ख़ुद को एक लीडर के तौर पर स्थापित किया है. लेकिन तेज प्रताप लालू परिवार और आरजेडी के लिए परेशानियां पैदा करते रहे हैं.
सवाल है कि आख़िर इस बार उन पर इतना सख़्त एक्शन क्यों लिया गया?
इसके जवाब में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइसेंज, पटना के पूर्व प्रोफ़ेसर पुष्पेन्द्र कुमार सिंह कहते हैं, "लालू यादव को डर है कि ये मामला नैतिकता या फैमिली वैल्यूज़ का सवाल बना तो उन्हें बिहार चुनाव में नुक़सान हो सकता है. वरना तेज प्रताप तो परिवार के साथ-साथ आरजेडी ख़ासतौर पर तेजस्वी के लिए परेशानियां पैदा करते रहे हैं. ये पब्लिक कंजम्पशन के लिए उठाया गया क़दम है. किसी को परिवार से ऐसे कैसे निकाला जा सकता है?"
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शर्मा कहते हैं, "लालू यादव को ये क़दम उठाना पड़ा क्योंकि इसका नुक़सान उनकी पार्टी के साथ-साथ पूरे महागठबंधन को हो सकता था. लेकिन यह एक सांकेतिक एक्शन है."
पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई ने इस पर कहा, "ये लालू फैमिली का ड्रामा है. इसमें कोई एक्शन नहीं है. बिहार की आम जनता को ये बेवकूफ बनाने की साज़िश है."
ये भी पढ़ें-साल 2018 में ऐश्वर्या राय से हुई थी. ऐश्वर्या, चन्द्रिका राय की बेटी और पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती हैं. शादी के कुछ महीनों बाद ही दोनों के रिश्ते बिगड़े और तलाक़ का मामला अभी अदालत में है.
तेज प्रताप यादव की फेसबुक पोस्ट में इस बात का ज़िक्र था कि उनके एक लड़की से संबंध बीते 12 साल से हैं. ऐसे में विपक्ष तेज प्रताप पर हमलावर है.
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने अपने पर इस बारे में लिखा, "दरोगा राय की पोती ऐश्वर्या के साथ जो लालू परिवार ने किया है उसका बदला आने वाले चुनाव में बिहार की हर महिला लेगी."
वहीं, ने कहा, "ऐश्वर्या राय को जब लालू परिवार ने घर से निकाला तब लालू यादव का संस्कार क्यों नहीं जागा?"
बीजेपी नेता ने कहा, "लालू जी ने यादव समाज की राजनीति की तो यादव समाज की प्रतिष्ठा के बारे में सोच लेते."
कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन ने कहा, " ये निजी मामला है. लालू परिवार को इस पर फ़ैसला लेना है, जो उन्होंने लिया."
इस मामले में बिहार के नेता प्रतिपक्ष और तेज प्रताप के छोटे भाई ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हमें ये सब चीज़ें अच्छी नहीं लगती और न हम इन्हें बर्दाश्त करते हैं."
विधानसभा चुनाव लड़ेंगे तेज प्रताप यादव?
लालू प्रसाद यादव का परिवार राजनीतिक परिवार है. लालू यादव और राबड़ी देवी के नौ बच्चे हैं. इनमें से बिहार की राजनीति में मीसा भारती, तेज प्रताप, तेजस्वी यादव और रोहिणी आचार्य सक्रिय हैं.
हरियाणा में लालू यादव की बेटी अनुष्का यादव के पति चिरंजीव राव और उत्तर प्रदेश में उनकी बेटी राजलक्ष्मी यादव के पति तेज प्रताप सिंह यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं.
साल 2024 में हरियाणा विधानसभा में चिरंजीव राव चुनाव हार गए थे. वहीं, लालू प्रसाद के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर पिछले साल यूपी की करहल सीट पर हुए उपचुनाव में जीत दर्ज की थी. वह 2014 से 2019 तक उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से सपा के लोकसभा सांसद रहे हैं.
दो बार के विधायक और बिहार सरकार में मंत्री रह चुके तेज प्रताप क्या इस बार चुनाव लड़ेंगे?
के मुताबिक़, तेज प्रताप महुआ विधानसभा सीट से इस बार चुनाव लड़ना चाहते हैं जिस पर यादव और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं.
पत्रकार अरविंद शर्मा कहते हैं, "तेज प्रताप चुनाव लड़ेंगे. वो जानते हैं कि बिना लालू यादव के उनकी कोई राजनैतिक हैसियत नहीं है. यहां दो बातें संभव है. पहली- राबड़ी देवी पर उन्हें पार्टी में वापस लेने का पूरा दबाव रहेगा. विधानसभा चुनाव का जीत-हार के हिसाब से आकलन करके उन्हें पार्टी में चुनाव से पहले वापस लिया जा सकता है. दूसरी ये कि जिस सीट से तेज प्रताप लड़ेंगे, आरजेडी वो सीट नहीं लड़कर अपने सहयोगियों को दे देगी. आरजेडी का कोई उम्मीदवार नहीं होने और सीट के यादव-मुस्लिम बहुल होने से तेज प्रताप जीत के ज़्यादा क़रीब होंगे."
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