आठ वर्षों में 75 हजार से अधिक अपराधियों को साक्ष्य के आधार पर सलाखों के पीछे धकेला
वर्तमान में प्रदेश में संचालित हैं 12 विधि विज्ञान प्रयोगशाला
लखनऊ, 24 मई (हि.स.)। पिछले आठ वर्षों में योगी सरकार ने 75 हजार से अधिक अपराधियों को साक्ष्यों के आधार पर कठोर सजा दिलायी है। वर्ष 2017 से साक्ष्य के अभाव में दुर्दांत अपराधी और माफिया बरी हो जाते थे, अब अत्याधुनिक विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं से अभियोजन पक्ष को मजबूत आधार मिल रहा है, जिससे अपराधियों को सजा दिलाने में उल्लेखनीय सफलता मिल रही है।
राज्य सरकार के पवक्ता ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2017 से पहले केवल चार विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं (लखनऊ, वाराणसी, आगरा, गाजियाबाद) थीं, जिससे सीमित जिलों को ही वैज्ञानिक परीक्षण की सुविधा मिल पाती थी। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस दिशा में तेजी से काम हुआ है। बीते आठ वर्षों में आठ नए जिले झांसी, कन्नौज, प्रयागराज, गोरखपुर, बरेली, गोंडा, अलीगढ़ व मुरादाबाद में प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं, जिससे अब इनकी संख्या 12 हो गई है।
इसके अलावा अयोध्या, बरेली, बांदा, आजमगढ़, मीरजापुर और सहारनपुर में 6 नई प्रयोगशालाओं की स्थापना दिशा में युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है, जो जल्द ही शुरू हो जाएंगी। वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में प्रयोगशालाओं द्वारा अधिक मामलों का निस्तारण किया गया, जिससे अभियोजन पक्ष को अपराधियों को सजा दिलाने में मजबूती मिली।
योगी सरकार ने जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कई नये कीर्तिमान भी स्थापित किये हैं। इसके जरिये प्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। नेशनल आटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएएफआईएस) के तहत अंगुली छाप डाटाबेस को राज्य स्तर पर हाईस्पीड सर्वर से जोड़ा गया है।
दिल्ली एनसीआरबी के अनुसार अंगुली छाप इनरोलमेंट में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। अब तक 4,14,473 अंगुली छापों का सफलतापूर्वक पंजीकरण किया जा चुका है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि किस प्रकार प्रदेश ने अपराधियों के खिलाफ सबूत जुटाने और उनके डिजिटल रिकॉर्ड को एकत्र करने में तकनीकी दक्षता हासिल की है। इससे अभियानों में तेज़ी और अपराध नियंत्रण में स्पष्ट सफलता मिली है।
एनएएफआईएस के संचालन के लिए सरकार ने केंद्र से समन्वय स्थापित कर एक मजबूत नेटवर्क तैयार किया है। प्रदेश स्तर पर स्थापित सर्वर के ज़रिए सभी जिलों से वास्तविक समय में अंगुली छापों का विश्लेषण संभव हो रहा है। इसके लिए अधिकारियों व तकनीकी स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है। वहीं, बॉयोलॉजिकल नमूनों के विश्लेषण के लिए नई तकनीकों को अपनाया गया है, जिनमें बीएनएस, बीएनएसएस और बीएसए-2023 के मानकों के अनुसार अनुसंधान किया जा रहा है। इससे साक्ष्य की वैधता और विश्वसनीयता में वृद्धि हुई है।
योगी सरकार स्थापित की गई नयी प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों द्वारा लगातार रिसर्च और परीक्षण किए जा रहे हैं, जिससे न्याय प्रणाली को त्वरित और तथ्यपरक निर्णय लेने में मदद मिल रही है। इसमें हत्या, बलात्कार, चोरी, साइबर क्राइम जैसे मामलों में वैज्ञानिक साक्ष्य अभियोजन के लिए निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति तभी सफल हो सकती है जब तकनीकी सहायता और वैज्ञानिक साक्ष्य मजबूत हों। इस उद्देश्य से प्रदेश में विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं का नेटवर्क न केवल विस्तृत किया गया है, बल्कि उन्हें अत्याधुनिक उपकरणों और कुशल जनशक्ति से भी लैस किया गया है। विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के आधुनिकीकरण और विस्तार ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को नई मजबूती दी है। अब अपराधियों को सजा दिलाने में जहां तेजी आई है, वहीं न्यायिक प्रक्रिया भी अधिक तथ्यपरक और प्रभावी हो गई है। योगी सरकार के इस प्रयास से न केवल अपराध पर लगाम लगी है, बल्कि जनता में कानून के प्रति विश्वास भी बढ़ा है।
—————
हिन्दुस्थान समाचार / दीपक वरुण
The post appeared first on .
You may also like
बाड़मेर में संदिग्ध ड्रोन मिलने से मचा हड़कंप! फिट किये गए थे 2 कैमरे, क्या किसी साजिश की थी प्लानिंग ?
कल का मौसम 26 मई 2025: दिल्ली, यूपी, राजस्थान... बारिश ने मौसम किया कूल, कल फिर गर्मी करेगी परेशान; पढ़िए वेदर अपडेट
भारत के चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, भाजपा बोली- यह प्रधानमंत्री की मेहनत का नतीजा है
पटना : भाजपा प्रदेश कार्यालय में समारोहपूर्वक मनाई गई रानी अहिल्याबाई होल्कर जयंती
Tata Altroz Facelift: A Comprehensive Comparison with Rivals