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शादी में हल्दी की रस्म: धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

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हल्दी की रस्म का महत्व

भारत में विवाह समारोह के दौरान कई परंपराएं निभाई जाती हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण रस्म है हल्दी की। इस रस्म में दूल्हा और दुल्हन को शादी से पहले हल्दी लगाई जाती है, जो एक पुरानी परंपरा है। आजकल, इस रस्म का आयोजन भव्य तरीके से किया जाता है, जिसमें लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं और सजावट भी येलो थीम पर होती है।


हल्दी लगाने की प्रक्रिया

आमतौर पर, दूल्हा और दुल्हन को शादी से दो-चार दिन पहले हल्दी लगाई जाती है। कुछ लोग केवल एक दिन हल्दी लगाते हैं, जबकि अन्य शादी के दिन सुबह तक इसे जारी रखते हैं। कभी-कभी दूल्हा-दुल्हन को एक साथ हल्दी लगाई जाती है, तो कभी अलग-अलग। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हल्दी लगाने का क्या महत्व है? आज हम इसके धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों पर चर्चा करेंगे।


धार्मिक महत्व शादी में हल्दी लगाने की धार्मिक वजह
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हिंदू धर्म में विवाह एक पवित्र बंधन है, जिसमें दूल्हा-दुल्हन देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेते हैं। इस दौरान भगवान विष्णु का विशेष स्थान होता है, और हल्दी का पीला रंग भगवान विष्णु को प्रिय है। इसलिए, शादी में हल्दी का उपयोग किया जाता है।


वैज्ञानिक कारण शादी में हल्दी लगाने का वैज्ञानिक कारण
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हल्दी में कई औषधीय गुण होते हैं, जैसे एंटी बैक्टीरियल और एंटी सेप्टीक। इसे त्वचा पर लगाने से संक्रमण का खतरा कम होता है और यह शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करती है। हल्दी लगाने से दूल्हा-दुल्हन की त्वचा भी निखर जाती है।


हल्दी से जुड़ी मान्यताएं हल्दी से जुड़ी अन्य मान्यताएं
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कहा जाता है कि हल्दी लगाने से दूल्हा-दुल्हन को बुरी नजर से बचाया जा सकता है। हल्दी में सकारात्मक ऊर्जा होती है, जो नकारात्मक शक्तियों को दूर रखती है। इसके अलावा, यदि दूल्हा या दुल्हन किसी अविवाहित व्यक्ति को हल्दी लगाते हैं, तो उसकी शादी जल्दी हो जाती है।


हल्दी की रस्म का समापन image

हल्दी की रस्म के दौरान, दूल्हा-दुल्हन को शादी के दिन तक घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है। यह रस्म न केवल शुभ मानी जाती है, बल्कि शादी की सभी रस्मों को भी सफलतापूर्वक संपन्न करने में मदद करती है।


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