परिजनों की मृत्यु के बाद मुंडन का महत्व
1. जब किसी प्रियजन का निधन होता है, तो उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सिर का मुंडन किया जाता है। यह एक संकेत है कि हम उनके जाने से कितने दुखी हैं।
इस प्रक्रिया के माध्यम से हम यह दर्शाते हैं कि हम उनके सम्मान में अपनी एक प्रिय वस्तु का त्याग कर रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे मृतक की आत्मा को शांति मिलती है।
2. मृतक के करीबी लोग उनके पास लंबे समय तक रहते हैं, जिससे उनके आसपास कई कीटाणु और जीवाणु उत्पन्न हो जाते हैं। इनसे बचने के लिए अंतिम संस्कार के बाद सिर मुंडवाने, नाखून काटने, धूप में बैठने और स्नान करने जैसे नियम बनाए गए हैं। यह नियम स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होते हैं।
3. यह माना जाता है कि आत्मा का संपर्क परिजनों से उसके बालों के माध्यम से होता है। यदि आत्मा को हमसे मोह हो जाए, तो उसे मोक्ष नहीं मिलता। इसलिए, मुखाग्नि देने वाला व्यक्ति अंतिम संस्कार से पहले अपने बालों का त्याग कर मुंडन करवाता है। इससे मृतक की आत्मा उस व्यक्ति के संपर्क में नहीं आ पाती और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

इस प्रकार, आप अब समझ गए हैं कि अंतिम संस्कार से पहले मुंडन क्यों किया जाता है। इस प्रक्रिया के संबंध में विभिन्न परिवारों में अलग-अलग नियम होते हैं। कुछ परिवारों में सभी पुरुष सदस्यों का मुंडन किया जाता है, जबकि कुछ स्थानों पर केवल मृतक के बेटे या मुखाग्नि देने वाले व्यक्ति का ही मुंडन होता है। यह प्रक्रिया आज भी अधिकांश हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा मान्यता प्राप्त है। धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह मुंडन प्रक्रिया महत्वपूर्ण मानी जाती है।
हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी। यदि हां, तो इसे दूसरों के साथ साझा करना न भूलें, ताकि सभी इस मुंडन के पीछे के असली कारण को जान सकें। इससे उनके ज्ञान में वृद्धि होगी और वे हमारे धर्म के बारे में और अधिक जान सकेंगे।
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