Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है और इस समय पूरी दुनिया की नजर भारत पर है कि उसका अगला कदम क्या होगा. जिस पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई ने इस घटना को अंजाम दिलाया वह अब कांप रही है. पाकिस्तान दुनिया भर के देशों से मिन्नतें कर रहा है. भारत की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि जिन चार आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया उन्हें न सिर्फ जहन्नुम पहुंचाए बल्कि उनके आका को नेस्तनाबूत करे.
पहलगाम में पहले रेकी, फिर हमला
इस आतंकी हमले की जांच एनआईए (NIA) कर रही है. जांच एजेंसी के प्रमुख आज घटनास्थल पर पहुंचे हुए हैं और प्रारंभिक जांच में अभी तक जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक यह हमला पूरी तैयारी के साथ एक बड़े प्लान के तहत किया गया. इसे चार आतंकियों और उनके लोकल सहयोगियों (OGWs) ने अंजाम दिया. इन 4 आतंकियों में दो पाकिस्तानी थे, उनका नाम मूसा और अली है.
एक हफ्ते पहले पहलगाम आ गये थे आतंकी
सूत्रों के मुताबिक हमले को अंजाम देने वाले आतंकी 15 अप्रैल को ही स्थानीय स्लीपर सेल की मदद से पहलगाम पहुंचे थे. इसके बाद उन्होंने कई जगहों की रेकी की. वो चाहते थे कि ऐसी जगह और ऐसे तरीके से हमला किया जाए जिससे लोगों का ध्यान इस तरफ जाए और ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो. तरीका अलग होने पर चर्चा ज्यादा होती है और अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित होता है इसलिए हिंदू हो या मुस्लिम पूछकर गोली मारी गई.
3 स्पॉट देखकर छोड़ा चौथे पर किया हमला
आतंकियों ने जम्मू कश्मीर की बैसरन घाटी में घटना को अंजाम देने से पहले कई इलाकों की रेकी की थी. इसमें पहला नाम आरु घाटी का है. आतंकियों ने देखा कि वहां पर सुरक्षा बलों का कैंप है इसलिए वहां हमले का इरादा छोड़ दिया. दूसरा आरु घाटी से सटा एम्यूजमेंट पार्क था लेकिन यहां भीड़ कम थी इसलिए एम्यूजमेंट पार्क का भी विकल्प छोड़ना पड़ा. इसके बाद वे अमरनाथ यात्रा वाले रास्ते के बेताब घाटी को देखा लेकिन यहां भी सुरक्षा बल के जवान तैनात थे. कुछ भी करने पर जोखिम था इसलिए यहां भी हमले का इरादा छोड़ना पड़ा.
इसलिए चुनी बैसरन घाटी
पहलगाम स्थित बैसरन घाटी एक टूरिस्ट हॉटस्पॉट है, लेकिन अमरनाथ यात्रा के रास्ते से थोड़ा अलग है. काफी सोच समझकर आतंकियों ने हमला करने के लिए इस जगह को चुना. 19 अप्रैल को रेकी की और 22 अप्रैल को दोपहर 2 बजे भूमिगत सहयोगियों (OGW) को घाटी पहुंचने के लिए कहा.
22 अप्रैल को लगभग 2.30 बजे हमला शुरू हुआ, जिसमें 26 निर्दोष मारे गये. पूरे देश में कोहराम मच गया. अभी तक की जांच में ये बात साबित हो चुकी है कि दो आतंकी पाकिस्तानी हैं और दो जम्मू कश्मीर के. स्थानीय लोगों ने इस हमले को अंजाम देने में उनकी मदद की. खबर है कि दस दिन से चल रहे तलाशी अभियान में दो आतंकियों का ही सुराग मिल पाया है. उन्हें जंगल से बाहर निकालने के लिए आग भी लगाई गई लेकिन वे बच निकलने. सेना और पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती घटना को अंजाम देने वाले आतंकियों को पकड़ना है.
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