नई दिल्ली, 19 मई . ढलती उम्र कई समस्याओं को न्योता दे देती है. कमजोर हड्डियां, जोड़ों में दर्द, झड़ते बाल या शरीर में दर्द ये आम सी बातें हैं. धीरे-धीरे कमजोर होते शरीर के सामने छोटी सी समस्या भी पहाड़ बन जाती है. हालांकि, योग एक्सपर्ट बताते हैं कि इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है.
बढ़ती उम्र का सहारा लाठी नहीं, बल्कि योग बन जाए तो समस्याएं साथ छोड़कर भाग जाती हैं.
बढ़ती उम्र के साथ हमारे जोड़ों की मोबिलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी कम हो जाती है, जिससे जोड़ों में दर्द समेत अन्य समस्याएं आम बात बन जाती हैं. ऐसे में हमें ऐसे आसन करने चाहिए जो हमारे जोड़ों, एंकल जॉइंट्स और फ्लेक्सिबिलिटी पर काम करें.
बढ़ती उम्र में समस्याओं को दूर करने के लिए कौन-कौन से योग करने चाहिए, इसकी सलाह देती हैं ‘योग फॉर लाइफ’ की ट्रेनर और को-फाउंडर कविता अरोड़ा. उन्होंने पांच ऐसे योगासनों के विषय में बताया, जो बुढ़ापे के लक्षण को कम करने के साथ ही संजीवनी की तरह हैं.
उन्होंने बताया, “बुढ़ापे या बढ़ती उम्र के साथ हमारे प्राइमरी जॉइंट्स कमजोर होने लगते हैं. हड्डियों के साथ ही मांसपेशियां भी कमजोर होने लगती हैं. जोड़ों में लचीलापन भी कम हो जाता है, जिससे रोजमर्रा के छोटे-छोटे काम भी मुश्किल भरे हो जाते हैं. यहां तक कि झुकना-उठना, हल्का वजन उठाना भी भारी काम लगता है.”
उन्होंने आगे बताया, “शारीरिक मजबूती बनाए रखने के लिए हमें ऐसे आसन करने चाहिए जो हमारे जोड़, खासकर टखने और कूल्हे के जोड़ों की मोबिलिटी और कमर की फ्लेक्सिबिलिटी पर काम करें.”
पांच आसन, जिनमें वायु निष्कासन, वीरभद्रासन, फलकासन, उष्ट्रासन, छिपकली मुद्रा मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करने के साथ मोबिलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी पर काम करते हैं. ये आसन शरीर के वजन को संतुलित कर मजबूती देने में भी मददगार होते हैं.
वायु निष्कासन या पवनमुक्तासन शरीर से वायु को बाहर निकालने और पाचन में सुधार करने में मदद करता है. इस आसन को करने के लिए पेट के बल लेटकर अपने पैरों को घुटनों की ओर खींच सकते हैं. फिर, अपने सिर को घुटनों की ओर झुका सकते हैं. यह आसन गैस, एसिडिटी और कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है.
वॉरियर 2 या वीरभद्रासन, यह आसन शरीर को मजबूत करने के साथ ही वजन को भी संतुलन बनाता है और मन को शांत करता है.
छिपकली मुद्रा, यह कूल्हों को खोलती है और मांसपेशियों में खिंचाव लाती है. इस योगासन को उत्थान पृष्ठासन के नाम से भी जाना जाता है.
प्लैंक पोज या फलकासन, यह शरीर को मजबूत बनाने में मदद करता है. इसमें सिर से लेकर एड़ी तक शरीर को एक सीधी रेखा में रखना होता है.
कैमल पोज या उष्ट्रासन को ऊंट की मुद्रा भी कहा जाता है. यह आसन छाती, पीठ और जांघों को स्ट्रेच करता है, रीढ़ को लचीला बनाता है और शरीर के सभी अलाइनमेंट में सुधार करता है.
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एमटी/एएस
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