अटारी, 17 मई . जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार पूरी तरह ठप हो गया था, लेकिन शुक्रवार से अटारी-वाघा सीमा के रास्ते व्यापारिक गतिविधियां फिर से शुरू हो गई हैं.
अटारी-वाघा सीमा के रास्ते व्यापारिक गतिविधियां शुरू होने से उन व्यापारियों को बड़ी राहत मिली है, जिनके लिए यह मार्ग सूखे मेवों और जड़ी-बूटियों के आयात का प्रमुख जरिया है.
दरअसल, पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के कारण अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया गया था. इस दौरान पाकिस्तान की तरफ वाघा सरहद पर लगभग 50 ट्रक फंस गए थे, जो अफगानिस्तान से सूखे मेवे और जड़ी-बूटियां लेकर भारत की ओर आ रहे थे. इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट (आईसीपी) अटारी और कस्टम विभाग के अधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार को आने वाले ट्रक वही थे जो तनाव के कारण पाकिस्तानी सीमा में रुके हुए थे. शुक्रवार को इनमें से छह ट्रकों को अटारी चेकपोस्ट के रास्ते भारत में प्रवेश की अनुमति दी गई.
वहीं, शनिवार को भी 10 से ज्यादा भारतीय ट्रक इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट अटारी में दाखिल हुए, जो लोड होकर फिर से देश के अलग-अलग राज्यों में रवाना होंगे. भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापारिक रिश्ते शुरू होने से व्यापारियों में खुशी है.
भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार का यह मार्ग बेहद महत्वपूर्ण है. अटारी-वाघा सीमा भारत और तालिबान शासित अफगानिस्तान के बीच एकमात्र स्वीकृत व्यापारिक भूमि मार्ग है. भारत अफगानिस्तान से मुख्य रूप से सूखे मेवे और जड़ी-बूटियां आयात करता है, जो अधिकतर कंधार और काबुल से आते हैं. इस मार्ग के बंद होने से न केवल व्यापारियों को आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि बाजार में इन सामानों की उपलब्धता पर भी असर पड़ा.
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एएसएच/एकेजे
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