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भारत ने डिजिटल टेक का उपयोग कर नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारा, अमेरिका ने गंवाया अवसर : पॉल रोमर

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नई दिल्ली, 21 अक्टूबर . नोबेल पुरस्कार विजेता, प्रोफेसर पॉल माइकल रोमर ने सोमवार को कहा कि जब अमेरिका में सिलिकॉन वैली तेजी से उभर रही थी, तब वह अपने नागरिकों का जीवन स्तर सुधारने में असफल रहा. वहीं, भारत ने करके दिखाया है कि कैसे डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिए 140 करोड़ लोगों की जिंदगी को बदला जा सकता है.

डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) जैसे आधार, यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) का उदाहरण देते हुए रोमर ने कहा कि अमेरिका के सामने भी कई अवसर आए, लेकिन उनको बर्बाद कर दिया गया.

‘एनडीटीवी वर्ल्ड समिट-2024’ को संबोधित करते हुए प्रमुख अर्थशास्त्री ने कहा कि प्रश्न यह है कि यदि हमें अवसर दिए जाते हैं तो हम उनका क्या करते हैं? अमेरिका को जो डिजिटल अवसर दिए गए थे, वे बर्बाद हो गए.

इस वर्ष की पहली छमाही (जनवरी-जून) में यूपीआई आधारित लेनदेन की वॉल्यूम 52 प्रतिशत बढ़कर 78.97 अरब हो गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 51.9 अरब थी.

इसके अलावा लेनदेन की वैल्यू में 40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और यह इस साल के पहले छह महीने में 83.16 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 116.63 लाख करोड़ रुपये हो गई है.

आधार की तारीफ करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता ने कहा कि नागरिकों की सरकारी योजना तक पहुंच बढ़ाने के लिए इसमें डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है.

शीर्ष अर्थशास्त्री ने आगे कहा कि जनता की भलाई के लिए टेक्नोलॉजी का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में एक नियामक के रूप में कार्य करने में सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है.

विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री रोमर ने कहा, “भारत में सरकार यूपीआई जैसे ऐप बनाकर खुश है. अमेरिका में ऐसा नहीं हुआ. भारत में लोग देख सकते हैं कि सरकार के तकनीकी और डिजिटल हस्तक्षेप के कारण उनका जीवन कैसे बेहतर हो गया है.”

उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों को भी आर्थिक वृद्धि से समझौता किए बिना टेक्नोलॉजी इनोवेशन का सहारा लेकर सुलझाया जा सकता है.

एबीएस/एबीएम

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