26/11 मुंबई आतंकी हमलों के अहम साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा ने भारत में एनआईए की पूछताछ के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण के बाद 10 अप्रैल को एनआईए की हिरासत में आए राणा ने कबूला है कि वह न सिर्फ लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (HUJI) जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़ा था, बल्कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के सीधे संपर्क में भी था।
इंडिया टीवी न्यूज के सूत्रों के मुताबिक, राणा ने बताया कि 26/11 हमलों की पूरी योजना ISI के संरक्षण में बनाई गई थी, जिसमें ज़की-उर-रहमान लखवी ने अहम भूमिका निभाई थी। इस साजिश को 'सूरा ऑफ ज़की' कोडनेम दिया गया था और इसमें LeT और ISI के शीर्ष अधिकारी शामिल थे।
राणा ने यह भी माना कि उसने कनाडा में 'मरकज-उद-दावत वल इरशाद' (MDI) के नाम पर कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार किया, जिसे बाद में 'जमात-उद-दावा' नाम दिया गया। यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही एक चेहरा माना जाता है, जो धार्मिक और सामाजिक संगठन की आड़ में आतंकी गतिविधियों जैसे फंडिंग, भर्ती और लॉजिस्टिक सपोर्ट में लिप्त रहा है।
एनआईए की जांच में सामने आया है कि राणा की सक्रियता भारत और कनाडा में फैली हुई थी और वह HUJI की 313 ब्रिगेड के कुख्यात आतंकी इलियास कश्मीरी के संपर्क में था। जांच एजेंसी को यह भी पता चला है कि राणा ने दिल्ली स्थित 'नेशनल डिफेंस कॉलेज' और भारत व विदेश के चाबाड हाउस जैसे यहूदी स्थलों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी। उसने "वन-टू-वन स्लीपर सेल स्ट्रैटेजी" अपनाकर आतंकियों को अलग-अलग रखा ताकि सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचा जा सके।
राणा ने पूछताछ में यह भी कबूला कि उसने डेविड हेडली को ISI अधिकारियों – साजिद मीर और मेजर इकबाल – के निर्देश पर भारत में टारगेट की रेकी के लिए भेजा था। हेडली ने लगभग 40–50 संवेदनशील जगहों की वीडियोग्राफी की थी, जिसमें मुंबई के सेना ठिकाने, सिद्धिविनायक मंदिर, शिवसेना भवन और चाबाड हाउस शामिल थे।
राणा ने माना कि वह हेडली की एक भारतीय महिला उद्यमी से दोस्ती के बारे में जानता था लेकिन उसने साफ किया कि उस महिला का आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं था। हालांकि उसने हेडली को प्रभावशाली भारतीयों से संपर्क बढ़ाने के लिए प्रेरित किया ताकि वह रेकी मिशन को आसान बना सके।
जांच एजेंसी अब मेजर इकबाल, मेजर समीर, कोडनेम “डी”, अबू अनस और अन्य संदिग्धों के स्केच तैयार कर रही है। राणा और उसके सहयोगियों ने 26/11 के बाद अपने ऑपरेशन को 'MMP प्रोजेक्ट' नाम दिया था, जिसके तहत भारत और डेनमार्क में आतंकी हमलों की योजना थी। डिजिटल फॉरेंसिक जांच में कुछ महत्वपूर्ण ईमेल आईडी जैसे rawsa1@hotmail.com सहित 13 अन्य खातों की जानकारी मिली है, जो अब जांच का हिस्सा हैं।
गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने समुद्री रास्ते से मुंबई में घुसकर CST स्टेशन, ताज होटल, ओबेरॉय होटल और नरीमन हाउस (चाबाड हाउस) जैसे ठिकानों पर कहर बरपाया था। इस हमले में 166 लोगों की जान गई थी और यह करीब 60 घंटे तक चला। राणा पर आरोप है कि उसने हेडली और अन्य पाकिस्तान-आधारित साजिशकर्ताओं के साथ मिलकर इस भयानक हमले की योजना बनाई और उसे अंजाम तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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