हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रमुख मीरवाइज उमर फारूक ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए शुक्रवार को कहा यह समझ से परे है और पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
मीरवाइज को चार सप्ताह बाद शहर के नौहट्टा इलाके में जामिया मस्जिद में शुक्रवार की सामूहिक नमाज अदा करने की अनुमति दी गई। उन्होंने सरकार से हमले में घायल हुए लोगों से मिलने की अनुमति मांगी।
मीरवाइज और मस्जिद में मौजूद लोगों ने पीड़ित परिवारों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए नमाज से पहले एक मिनट का मौन रखा।
उन्होंने मस्जिद में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “इन हत्याओं ने हमारे दिलों को छलनी कर दिया है। हमने सुना है कि इन लोगों से पहले उनकी धार्मिक पहचान पूछी गई और फिर उनके परिवारों के सामने उनकी हत्या कर दी गई। यह हरकत समझ से परे है।”
मीरवाइज ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, इन हत्याओं की कड़ी निंदा करते हैं।
उन्होंने कहा, “अपनों को खोने का दर्द कश्मीर के लोगों से बेहतर कौन समझ सकता है? मारे गए लोगों के प्रियजनों का दर्द हमसे ज्यादा कौन महसूस कर सकता है? इस घटना ने हमारे दिलों को दुखाया है।”
कश्मीर के मुख्य मौलवी ने कहा कि कश्मीर के लोग प्रभावित परिवारों के दुख में शामिल हैं और उनके साथ खड़े हैं।
उन्होंने कहा, “हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें धैर्य प्रदान करें। हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की भी कामना करते हैं।”
दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने शुक्रवार को कहा कि पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादी मुस्लिम होने का दंभ तो भरते हैं, लेकिन उन्होंने ऐसा काम किया है जो पूरी तरह से ‘‘गैर-इस्लामी’’ है।
उन्होंने जुमे की नमाज के दौरान अपने ‘कुतबे’ (धार्मिक संबोधन) में यह भी कहा कि कुरान के अनुसार, किसी एक इंसान का कत्ल पूरी इंसानियत का कत्ल है। पहलगाम हमले के विरोध में कई लोगों ने बांह पर काली बांधकर जुमे की नमाज अदा की।
जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर एकत्र होकर पहलगाम हमले के खिलाफ प्रदर्शन किया और ‘आतंकवाद मुर्दाबाद’ और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाए।
बुखारी ने कहा, ‘‘कुरान में कहा गया है कि एक इंसान को मारना पूरी इंसानियत को मारने जैसा है और एक इंसान को बचाना पूरी मानवता को बचाने जैसा है।’’
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘आतंकवाद को किसी भी आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता या इसका समर्थन नहीं किया जा सकता।’’
बुखारी ने कहा कि पाकिस्तान की करतूत के कारण भारत के मुसलमानों को भी नफरत का सामना करना पड़ता है।
उनका कहना था कि धार्मिक पहचान के आधार पर निर्दोष लोगों की हत्या करना एक ऐसा अपराध है जिसकी माफी नहीं हो सकती।
दिल्ली के कई अन्य इलाकों में भी मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुमे की नमाज के बाद पहलगाम हमले के विरोध में प्रदर्शन किया।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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