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सरदार पटेल किसके हैं? कांग्रेस को अचानक याद आए लौहपुरुष, क्या बीजेपी छोड़ेगी विरासत

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अहमदाबाद: गुजरात में 64 साल बाद कांग्रेस का अधिवेशन हो रहा है। पार्टी नेताओं का दावा है कि अहमदाबाद में कांग्रेस के 84वें अधिवेशन में कई ऐसे फैसले होंगे, जो पार्टी में नई जान फूंक देगी। इस अधिवेशन में लंबे समय बाद सरदार पटेल की राजनीतिक विरासत की लड़ाई भी लड़ रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस उनके नायकों पर कब्जा करती रही है। गुजरात के गांधी और पटेल कांग्रेस के छीने गए महापुरुषों में शामिल हैं। पार्टी ने पटेल की विरासत को बरकरार रखने के लिए मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में बीजेपी पर पटेल और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच विभाजन पैदा करने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया है। image गुजरात चुनाव से कांग्रेस का सरदार कनेक्शनकांग्रेस की नजर गुजरात पर है, जहां पिछले 30 साल से बीजेपी का एकछत्र कब्जा है। कांग्रेस यहां हर चुनाव के बाद लगातार कमजोर होती जा रही है। चुनावों से पहले कांग्रेस ने गुजरात में दलित, आदिवासी जैसे नेताओं को प्रमोट कर पैर जमाने की कोशिश की, मगर पटेलों को अपनी ओर वापस नहीं ला सकी। पार्टी नेताओं का मानना है कि अगर सरदार वल्लभ भाई पटेल को वापस कांग्रेस अपने पास ले आती है तो पार्टी एक बार फिर गुजरात में कदम जमा लेगी, जहां 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। गुजरात में पटेल बिरादरी को अपने खेमे में लाने का फायदा पार्टी को महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी मिल सकता है। कांग्रेस की लगातार हो रही भूल पड़ी भारी संघ परिवार हमेशा से पंडित जवाहर लाल नेहरू की नीतियों का आलोचक रहा है। कश्मीर समस्या जैसे ज्वलंत मुद्दे को बीजेपी वाले नेहरू की रणनीतिक भूल का नतीजा मानते हैं। इसे साबित करने के लिए संघ परिवार सरदार बल्लभ भाई पटेल के राष्ट्र एकीकरण के तौर-तरीकों की तारीफ भी करता रहा है। तारीफ और आलोचना के लंबे कालखंड में कांग्रेस ने एक भूल की। पार्टी ने महात्मा गांधी और पंडित नेहरू के मुकाबले सरदार पटेल के कद को हमेशा कमतर ही रखा। पंडित नेहरू के बाद इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और गांधी फैमिली की तस्वीरें कांग्रेस के बैनर-पोस्टर पर बड़ी होती गईं। सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद समेत कांग्रेस के कई बड़े नेता, जो अपने प्रांतों के चेहरे थे, वे भूला दिए गए। बीजेपी तक कैसे पहुंच गए सरदार पटेलसंगठन से सत्ता में आने के बाद नरेंद्र मोदी ने गुजरात में सरदार पटेल की उपेक्षा को मुद्दा बनाया और उनके सम्मान की चर्चा राजनीतिक विमर्श ले आए। गुजरात की आबादी में 14-15 फीसदी पटेल हैं और राज्य की राजनीति में पाटीदारों की बड़ी दखल है। 2010 में बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाने का ऐलान किया। 2013 में केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान छेड़ा और पटेल बीजेपी के महापुरुषों की पंक्ति में आ गए। 2018 में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के उदघाटन के साथ ही सरदार पटेल के साथ देश का पाटीदार समाज कांग्रेस से दूर ही नजर आया। आज गुजरात के पटेल या पाटीदार बीजेपी के सबसे भरोसेमंद वोटर हैं। पिछले 30 साल में कांग्रेस ने भी पश्चिमी राज्य में कई प्रयोग किए, मगर सरदार पटेल की उपेक्षा उसे कामयाबी से दूर करती रही। image कांग्रेस के पोस्टर और बैनर में लौटे सरदारअहमदाबाद में कांग्रेस अधिवेशन से पहले राहुल गांधी गुजरात गए, जहां उन्होंने खुले तौर पर संगठन में बड़े फेरबदल का ऐलान भी किया। इसके साथ ही केंद्रीय नेतृत्व को गुजरात में जीत के लिए सरदार पटेल की याद आई। अहमदाबाद अधिवेशन के आगाज के साथ कांग्रेस ने संकेतों से यह जताना शुरू किया कि सरदार बल्लभ भाई पटेल आज भी उसके सर्वोच्च नेताओं में शुमार हैं। सबसे पहले मंच पर तस्वीरों में पंडित जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी के साथ सरदार पटेल की बड़ी तस्वीर लगाई गई। बैनर में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे भी बड़े नजर आए। बाकी नेताओं को कोने में जगह मिली। सरदार पटेल की प्रतिमा पर विशेष तौर पर माल्यार्पण समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें राहुल गांधी, सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे समेत बड़े नेता शामिल हुए। कांग्रेस अध्यक्ष के भाषण में सरदार पटेल मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने अध्यक्षीय भाषण में भी सरदार पटेल को याद किया। उन्होंने कहा कि 600 साल से अधिक पुराना अहमदाबाद हमारे लिए तीर्थ स्थान जैसा है। यहां साबरमती आश्रम है, सरदार पटेल राष्ट्रीय स्मारक और बहुत सी यादें है। यह अधिवेशन महात्मा गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की शताब्दी और सरदार पटेल साहब की 150वीं जयंती को समर्पित है। कांग्रेस के निर्माण में गुजरात का अमूल्य योगदान रहा है। यहां पैदा हुई 3 महान हस्तियों दादा भाई नौरोजी, गांधी जी और सरदार पटेल ने कांग्रेस का नाम दुनिया भर में रोशन किया। ये हमारी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। हमारे महान नेता सरदार पटेल ने भारत के राजे-रजवाड़ों का एकीकरण करके एक मजबूत राष्ट्र बनाया। बीजेपी का तंज, हुजूर आते-आते बहुत देर कर दीएक्सपर्ट मानते हैं कि कांग्रेस के लिए सरदार पटेल की विरासत दोबारा हासिल करना आसान नहीं है। इसका अंदाजा बीजेपी नेता शहनवाज हुसैन के बयान से लगाया जा सकता है। हुसैन ने तंज के अंदाज में कमेंट करते हुए कहा कि हुजूर आते-आते बहुत देर कर दी। बीजेपी ने कांग्रेस से सवाल किया कि अगर उन्हें सरदार पटेल से प्रेम है तो पार्टी मुख्यालय इंदिरा भवन का नाम उनकी याद में बदल क्यों नहीं देते? बीजेपी भी इतनी आसानी से पटेल की विरासत नहीं छोड़ सकती है। अब ऐसा दौर फिर शुरू होने वाला है, जब बीजेपी एक बार फिर सरदार पटेल की उपेक्षा के लिए कांग्रेस को घेर सकती है। एक बीजेपी नेता ने दावा किया कि जब तक गुजरात में सरदार की ऊंची प्रतिमा है, तब तक सरदार पटेल और पाटीदार बीजेपी के साथ रहेंगे।
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