सिलिकॉन वैली में 8 साल किया काम
रजत गुप्ता की कहानी दिल्ली से शुरू होती है। उन्होंने अपने पिता को कड़ी मेहनत करते हुए देखा। रजत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और विदेश में भी डिग्रियां हासिल कीं। उन्होंने सिलिकॉन वैली में आठ साल तक काम किया। नौकरी छोड़ने से पहले अमेरिका में उन्हें 1.5 करोड़ की सैलरी मिल रही थी। लेकिन, 2023 में वह भारत लौट आए। वह यहां कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे लोगों को फायदा हो। अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर अपना कुछ करने का कदम काफी रिस्की था।
ऐसे आया आइडिया
विदेशों में प्रिस्क्रिप्शन के आसान सिस्टम को देखकर रजत को एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने का आइडिया आया जिससे भारत में दवाओं की डिलीवरी की समस्या हल हो सके। लगभग एक साल तक अपनी 12 लोगों की टीम के साथ काम करने के बाद उन्होंने जनवरी 2025 में रीपिल को लॉन्च किया।
शुरुआत करते ही मिली सफलता

रजत के स्टार्टअप को शुरुआत में ही सफलता मिली। साउथ दिल्ली में लॉन्च होने के बाद से इसने 400 से ज्यादा ऑर्डर्स डिलीवरी किए हैं। डिलीवरी का औसत समय 30-40 मिनट है। यह ऐप बहुत जल्दी पॉपुलर हो गया है। इसे बहुत से लोगों ने डाउनलोड किया है। अब रीपिल को नोएडा, गुड़गांव, बेंगलुरु और मुंबई में भी शुरू करने की योजना है। इसके बाद वह टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी पहुंचना चाहते हैं, जहां दवाओं की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है।
बड़ा है विजन
रजत गुप्ता का लक्ष्य सिर्फ दवाएं जल्दी डिलीवरी करना नहीं है। अलबत्ता, वह एक ऐसा हेल्थकेयर सिस्टम बनाना चाहते हैं जो सभी के लिए बराबर हो। उनका ऐप लोगों को आसपास के दवाखानों से जोड़ता है। प्रिस्क्रिप्शन को मैनेज करने का तरीका आसान बनाता है। ऐप सुनिश्चित करता है कि किसी भी भारतीय को जीवन रक्षक दवाएं मिलने में देरी न हो। इसका विजन बड़ा है। यह भारत में हेल्थकेयर को पूरी तरह से बदलना चाहता है।
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