नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की ओर से 2023 में 10 विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए आरक्षित रखने के कदम को अवैध और गलत करार दिया। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने फैसला सुनाया कि विधानसभा की ओर से दोबारा पारित किसी विधेयक को राष्ट्रपति के लिए आरक्षित रखने का अधिकार राज्यपाल के पास नहीं है। फैसले में कहा गया कि राज्यपाल की ओर से 10 विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित रखना अवैध है, इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए। दरअसल तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि राज्यपाल ने खुद को वैध रूप से निर्वाचित राज्य सरकार के 'राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी' के रूप में पेश किया है। यह कोई पहला मामला नहीं है, जब राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच खुलकर तनातनी या खींचतान का मामला सामने आया हो। इससे पहले भी ऐसे कई मामले हुए हैं। पिछले 40 वर्षों (1985 से 2025 तक) में भारत में कई राज्यपाल ऐसे रहे हैं, जिनके कार्यों ने राज्यों के साथ विवादों को जन्म दिया। ये विवाद अक्सर विधायी देरी, राज्य सरकारों के साथ टकराव, या संवैधानिक सीमाओं के कथित उल्लंघन से जुड़े रहे। नीचे कुछ प्रमुख राज्यपालों की सूची दी गई है, जिन्हें उनके कार्यकाल के दौरान विवादों के लिए जाना गया।1.रोमेश भंडारी2. बूटा सिंह3. हंसराज भारद्वाज4. कमला बेनीवाल5. जगदीप धनखड़6.सीवी आनंद बोस7. आरएन रवि8. बनवारी लाल पुरोहित9.आरिफ मोहम्मद खान
- केरल के राज्यपाल और सरकार के बीच मनमुटाव का मामला काफी विवादों में रहा था। केरल के तत्कालीन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था कि केरल सरकार कई ऐसे काम करती है, जो कानून के मुताबिक नहीं होते। दरअसल एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (केटीयू) के कुलपति का चयन करने के लिए कुलाधिपति के नामित व्यक्ति के बिना चयन समिति बनाने को लेकर आरिफ मोहम्मद नाराज थे। उन्होंने कहा था कि सरकार पर निर्भर करता है कि वे क्या करना चाहते हैं। वे कई ऐसे काम कर रहे हैं जो कि कानून के मुताबिक नहीं हैं। राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों सहित नियुक्तियों के मुद्दे पर आरिफ मोहम्मद खान और केरल सरकार लंबे अरसे तक आमने-सामने थे।
- रोमेश भंडारी विवाद उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रोमेश भंडारी के एक विवादित निर्णय से जुड़ा है, जो 1998 में हुआ था।
- राज्यपाल रमेश भंडारी ने मध्यरात्रि में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को पद से हटा दिया और जगदंबिका पाल को नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिला दी। सुप्रीम कोर्ट ने बाद में राज्यपाल के निर्णय को अवैध घोषित किया और कल्याण सिंह को बहाल कर दिया। इस घटना ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा विवाद पैदा कर दिया और राज्यपाल की शक्तियों पर प्रश्नचिन्ह उठाया।
- बूटा सिंह राज्यपाल विवाद बिहार के राज्यपाल बूटा सिंह के इस्तीफे से जुड़ा है, जो 2005 में बिहार विधानसभा के विघटन से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा फटकार लगाए जाने के बाद हुआ था। 2005 में बिहार विधानसभा को भंग कर दिया गया था, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया। राज्यपाल बूटा सिंह पर आरोप लगा कि उन्होंने केंद्र सरकार को गलत जानकारी दी, जिसके आधार पर विधानसभा को भंग किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने बूटा सिंह की भूमिका की आलोचना की और कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार को गलत जानकारी दी।
- हंसराज भारद्वाज के राज्यपाल कार्यकाल के दौरान कई विवाद हुए, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं। केंद्रीय कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने कर्नाटक के राज्यपाल हंसराज भारद्वाज के एक निर्देश को सही ठहराया, जिसमें राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष केजी बोपय्या को निर्देश दिए थे। इस निर्देश के बारे में कुछ लोगों ने सवाल उठाए थे।
- कमला बेनीवाल राज्यपाल विवाद 2009-2014 के बीच हुआ, जब उन्होंने गुजरात, त्रिपुरा और मिजोरम के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। इस दौरान, उनका तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कई मुद्दों पर टकराव हुआ। कमला बेनीवाल ने राज्यपाल रहते हुए आरए मेहता को लोकायुक्त नियुक्त किया, जिसे गुजरात सरकार ने विवादित माना। उनका नरेंद्र मोदी के साथ कई मुद्दों पर टकराव हुआ, जो राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहा।
- बंगाल में सीएम ममता और राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बीच विवाद काफी चर्चा में रहा है। दोनों कई मुद्दों पर टकराते रहे हैं। जगदीप धनखड़ जब बंगाल के राज्यपाल थे तब बंगाल की सीएम ममता बनर्जी धनखड़ पर केंद्र के आदेश थोपने का आरोप लगाती रही हैं तो वहीं, राज्यपाल कहते रहे हैं कि वह जो भी कार्य करते हैं वह संविधान के मुताबिक होता है। चाहे बात विधानसभा का सत्र बुलाने की हो या किसी नए विधायक को शपथ दिलाने की, बंगाल में तकरीबन हर मामले पर सीएम गवर्नर के बीच सियासी विवाद पैदा हो जाता था। चुनाव के बाद राज्य में हुई हिंसा को लेकर भी सीएम और राज्यपाल में टकराव हुआ था। हालांकि, सीवी आनंद बोस का पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनकर आना, मानों सिर मुंडाते ओला पड़ना साबित हुआ। राज्यपाल सीवी आनंद बोस और ममता सरकार में शुरू से जंग लगातार जारी है।
- 2021 में पंजाब के राज्यपाल बने बनवारी लाल पुरोहित का कार्यकाल काफी विवादित था। पंजाब में उनका कार्यकाल आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के साथ लगातार टकराव भरा रहा। खासकर पंजाब राजभवन द्वारा विभिन्न विधेयकों को मंजूरी नहीं मिलने के मुद्दे पर। हर बार जब भी राज्यपाल पुरोहित ने चिंता जताई या स्पष्टीकरण मांगा, तो मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री और आधिकारिक प्रवक्ता सहित आम आदमी पार्टी ने कड़ा जवाब दिया। उन्होंने अक्सर पुरोहित पर बीजेपी से प्रभावित होने और उनकी सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया।
You may also like
वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कॉर्पोरेट्स गवर्नेंस में विफलताओं को रोकना जरूरी : तुहिन कांत पांडे
गर्मियों में घमौरियों से बचना है तो इन 5 आदतों से रखें दूरी, वरना हो सकता है स्किन डैमेज
500 Note : कैसे पहचानें कि आपके पास जो नोट है वह असली है या नकली? ⑅
70 साल पुराने Jaswant Sagar Bandh की होगी कायापलट, मारवाड़ के किसानों की सिंचाई की समस्या होगी दूर
तड़पती रही महिला; प्राइवेट पार्ट में डाला बेलन, सास-ससुर-पति ने सबने मिलकर ⑅