नई दिल्ली: प्राइवेट स्कूलों की फीस वृद्धि और उत्पीड़न के खिलाफ बुधवार को दस से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पैरंट्स दिल्ली विधानसभा के पास डायरेक्टरेट ऑफ एजुकेशन (DOE) के ऑफिस पहुंचे और वहां अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं। उन्होंने अपनी बात रखने के लिए यहां एक गीत भी गाया। यह गीत पैरंट्स सीएम रेखा गुप्ता को भी सुना चुके हैं। गीत के बोल खुद अभिभावकों ने लिखे हैं 'कैसे पढ़ाए हम बेटियां, इन स्कूलों ने ली हमारी जान है। बढ़ती फीसों के कारण आज तो हर माता-पिता परेशान है'।शिक्षा विभाग की बिना मंजूरी से बढ़ाई गई फीस जो पैरंट्स देने का विरोध कर रहे हैं, कुछ स्कूल उनके बच्चों की क्लासरूम से दूर लाइब्रेरी में बैठा रहे हैं या नाम काटने की चेतावनी दे रहे हैं। वहीं, दिल्ली सरकार कि कहना है सभी स्कूलों की जांच शुरू हो चुकी है, उल्लंघन करने वाले पर एक्शन होगा। इसके अलावा हाई कोर्ट में मामला है, इसलिए सबकी नजर अदालत की ओर भी है। पैरंट्स : हैरासमेंट में एक्शन क्यों नहीं?पैरेंट्स का कहना है कि अगर फीस का मामला कोर्ट में भी मामला अटका हुआ है तो स्टूडेंट्स को लाइब्रेरी में बैठाने जैसे हैरासमेंट के मामले में सरकार, बाल आयोग, पुलिस तुरंत कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं यह हैरानी की बात है। डीपीएस द्वारका में बच्चों को लाइब्रेरी में जबरन बैठाने का मामला ऐसा ही एक उदाहरण है, जहां डीएम की अगुवाई में जांच होने के बावजूद उस पर अब तक एक्शन नहीं लिया गया है। सरकार : किया जा रहा है ऑडिटप्राइवेट स्कूलों में फीस का मसला इस सेशन का नहीं, कुछ सालों से बरकरार है। नए सेशन 2025-26 में कई प्राइवेट स्कूलों में फीस में 30% से भी ज्यादा के इजाफे के खिलाफ पैरंट्स का गुस्सा नजर आ रहा है। शिक्षा निदेशालय ने कहा है कि अनुचित फीस बढ़ाने पर उसने सख्ती की है। वहीं, दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद का कहना है कि सरकार सभी प्राइवेट स्कूलों में जाकर एसडीएम के नेतृत्व में जांच करवा रही है, जांच रिपोर्ट आने के बाद कठोर कार्रवाई की जाएगी। जल्द ही एजुकेशन विभाग की वेबसाइट में यह भी अपलोड किया जाएगा कि पिछले सालों में किस-किस स्कूल ने कितनी फीस बढ़ाई है। जिन स्कूलों ने 2024-25 तक फीस बढ़ाई है, उनके ऑडिट रिकॉर्ड को जांच मंगवाया गया है। एक्सपर्ट : फीस पर सरकार को मिले अधिकारविशेषज्ञों का मानना है कि स्टूडेंट्स के अधिकारों और सुरक्षा को देखते हुए जो सख्त रवैया होना चाहिए, वो है नहीं। दूसरा, मौजूदा कानूनी कदम भी सही तरीके से नहीं उठाए गए। तीसरा, सभी स्टेकहोल्डर्स के हितों का ध्यान रखने वाला सख्त कानून ही मनमानी फीस पर लगाम लगा सकता है। ऑल इंडिया पैरंट्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट अशोक अग्रवाल कहते हैं, दिल्ली में फीस रेगुलेशन को लेकर कोई कानून नहीं है। 2015 में दिल्ली सरकार ‘फीस रेगुलेशन एक्ट’ लायी थी मगर केंद्र से मंजूरी नहीं मिली। इसे नए सिरे से लाने की जरूरत है। फीस तय करने के कानून में सरकार को अथॉरिटी मिलनी चाहिए, मगर उलटा प्राइवेट स्कूलों को अथॉरिटी मिली हुई है। स्कूल : फीस बढ़ोतरी उल्लंघन नहीं, जरूरतशनिवार को शिक्षा निदेशालय ने माना है कि कोविड के बाद से सालाना 25-30% से अधिक की फीस बढ़ोतरी परिवारों पर भारी वित्तीय बोझ डाल रही है। मगर जिन स्कूलों की शिकायत सामने आ रही है, उनका कहना है कि फीस जरूरत और नियम के हिसाब से बढ़ाई गई है। साथ ही, कोर्ट ने भी कोई रोक नहीं लगाई है। अनऐडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स की एक्शन कमिटी के प्रेजिडेंट भरत अरोड़ा का कहना है कि स्कूलों ने फीस दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट के तहत ही बढ़ाई है। ज्यादातर स्कूलों ने 5% से 10% तक ही इजाफा किया है। आईपीएल स्कूल की प्रिंसिपल सुधा आचार्य कहती हैं, महंगाई के हिसाब से उचित फीस बढ़ाना जरूरी है। साथ ही, टीचर्स की सैलरी बढ़ाने के लिए भी स्कूल प्रशासन की जरूरतें होती हैं। 7वें पे कमिशन से सैलरी अगर देनी है, तब भी स्कूल मैनेजमेंट को सोचना पड़ेगा। शिक्षा विभाग : की जा रही है कार्रवाईशिक्षा विभाग का कहना है कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत सख्त कार्रवाई की जा रही है, जिसमें स्कूल की मान्यता को निलंबित या रद्द करना और गलती करने वाले स्कूलों के प्रबंधन को अपने नियंत्रण में लेने की कार्रवाई शामिल है। हालांकि, निदेशालय ने पिछले कुछ सालों में जिन भी कुछ स्कूलों को टेकओवर का आदेश दिया या चेतावनी दी, मान्यता रद्द की, उन्होंने हाई कोर्ट से स्टे ले लिया। अभी फीस पर क्या हैं नियम?नियम है अगर सरकारी एजेंसी की जमीन पर चल रहा कोई प्राइवेट स्कूल फीस बढ़ाने के लिए इच्छुक होता है तो उसे नए सेशन की शुरुआत में शिक्षा निदेशालय को ऑनलाइन प्रस्ताव भेजकर मंजूरी लेनी होगी। 27 मार्च 2024 के शिक्षा निदेशालय के ऐसे ही आदेश को प्राइवेट स्कूलों की एक्शन कमिटी ने हाई कोर्ट में चैलेंज किया और सिंगल बेंच से अंतरिम राहत पा ली। एनजीओ ‘जस्टिस फॉर ऑल’ की एडवोकेट शिक्षा बग्गा कहती हैं, 2016 में डिविजन बेंच का आदेश है कि सरकारी स्कूलों में बने प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने के प्रस्ताव पर पहले शिक्षा निदेशक से अनुमति लेनी होगी, तो इस आधार पर शिक्षा निदेशालय को आगे बढ़ना चाहिए। सिंगल बेंच का हवाला देते हुए ही सभी स्कूलों ने 2024 में और अब 2025 में मनमानी फीस बढ़ाई है। कुछ स्कूलों में पिछले दो सालों में 50% से ज्यादा फीस बढ़ गई है।
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