नई दिल्ली: दिल्ली में दौड़ रहीं 443 बसों के पहिए बुधवार को थम गए। कॉन्ट्रैक्ट की अवधि न बढ़ने की वजह से ये बसें आज सड़कों से बाहर हो गईं। एक ही झटके में इतनी बसें हटने से दिल्ली में बस यात्रियों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। फिलहाल जिन चार क्लस्टर की बसों के कॉन्ट्रैक्ट की अवधि आज खत्म हो गई, उनमें से दो क्लस्टर की बसें चलाने वाली कंपनियों को कोर्ट से ग्रीन सिग्नल मिल गया। ऐसे में वे बसें तो सड़कों पर चल रही हैं लेकिन बाकी दो क्लस्टर की 443 बसें बाहर हो गई हैं। क्लस्टर स्कीम के तहत कॉन्ट्रैक्ट खत्मट्रांसपोर्ट विभाग के सूत्रों के अनुसार, क्लस्टर 6, 7, 8 और 9 के तहत बसें ऑपरेट करने वाली कंपनियों का कॉन्ट्रैक्ट 15 अप्रैल को खत्म हो रहा था। सूत्रों के अनुसार इसमें क्लस्टर 6 और सात में कुल 443 बसें हैं और क्लस्टर 8 और 9 में 534 बसें हैं। क्लस्टर 6 के तहत बंदा बहादुर मार्ग डिपो और दिलशाद गार्डन डिपो से 186 बसें ऑपरेट होती थी और क्लस्टर सात राजघाट और सीमापुरी से 257 बसें। इन दोनों डिपो से चलने वाली 443 बसें बंद हो गई है। दरअसल, दिल्ली में सीएनजी बसें 15 साल चल सकती हैं। जो बसें सड़कों से हटी हैं, उन्हें अभी 15 वर्ष पूरे नहीं हुए लेकिन क्लस्टर स्कीम के तहत उनका कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गया है। अभी चूंकि नई बसें नहीं आयीं इसलिए माना जा रहा था कि इन बसों का कॉन्ट्रैक्ट बढ़ा दिया जाएगा ताकि यात्रियों को दिक्कत न हो। लेकिन कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाने का कोई फैसला नहीं हुआ। फैसले के खिलाफ आर्बिट्रेशन में गए ऑपरेटरसूत्रों का कहना है कि इसके बाद क्लस्टर 8 और क्लस्टर 9 के डिपो से चलने वाली 534 बसें के ऑपरेटर इसके खिलाफ आर्बिट्रेशन में चले गए। उन्होंने बसों के उम्र बढ़ाने के फेवर की मांग की। इसको लेकर आर्बिट्रेशन ने बस ऑपरेटरों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सरकार से 7 मई तक अपना पक्ष स्पष्ट करने को कहा कि वो इन बसों को जारी रखना चाहती है या नहीं, वहीं कोर्ट ने तब तक इन बसों को सड़क पर चलाने की अनुमति दे दी।ट्रांसपोर्ट विभाग के सूत्रों का कहना है कि समस्या यह है कि इस पर सरकार का अभी तक कोई निर्णय सामने नहीं आई है और वहीं इसको लेकर ऑपरेटर संशय में है। जबकि बसों से चलने वाले आम पैसेंजरों के सामने समस्या पैदा हो गई है और फिलहाल यह समस्या खत्म होते नहीं दिख रही है। अब देखना है कि इस पर सरकार का रुख क्या होता है?
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