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घर के बाहर सादे कपड़ों में पुलिस लगी है... लखनऊ में वर्चुअल कॉल के जरिए डिजिटल अरेस्ट कर रहे साइबर जालसाज

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ज्ञानेश्‍वर प्रसाद, लखनऊ: लखनऊ में साइबर जालसाजों का जाल फैलता जा रहा है। विदेशों में बैठे जालसाज वर्चुअल कॉल को टूल बनाकर लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर ठग रहे हैं। पिछले आठ दिन में डिजिटल अरेस्ट कर ठगे गए तीन लोग वर्चुअल कॉल का ही शिकार हुए हैं। साइबर जालसाजों को दबोचने के लिए साइबर सेल, साइबर थाने के साथ अब एसटीएफ भी छानबीन में जुटी है, लेकिन कॉल ट्रेस न होने से पुलिस साइबर अपराधियों तक नहीं पहुंच पा रही है। साइबर जालसाजों ने 10 अप्रैल से लेकर 18 अप्रैल तक जिले में तीन लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर 1.26 करोड़ रुपये ठगे हैं। तीनों ही मामले साइबर थाने में दर्ज करवाए गए। साइबर थाने की पुलिस ने छानबीन की तो सामने आया कि तीनों केस में साइबर जालसाजों ने वर्चुअल कॉल को टूल बनाकर पीड़ितों को जाल में फंसाया और डिजिटल अरेस्ट कर उनसे रकम ट्रांसफर करवा लिया है। विवेचकों ने शुरुआती छानबीन की तो पता चला कि ठगों ने अलग-अलग देशों से कॉल की है, लेकिन वह लगातार ठिकाने बदल रहे हैं। वर्चुअल कॉल के शुरुआती नंबर से उनका ओरिजन तो पता चल गया, लेकिन उन तक पहुंचने का टूल नहीं मिल रहा है। फिलहाल साइबर सेल की टीम वर्चुअल कॉल के मेसेजेस के जरिए गैंग के बाकी लोगों को ट्रैक करने का प्रयास कर रही है। यही नहीं कॉलर के पकड़े न जाने से गैंग के बाकी सदस्यों की भी टोह नहीं मिल रही है। अब पुलिस ने गैंग तक पहुंचने के साथ ही पीड़ितों के रकम की रिकवरी के लिए उनके अकाउंट से हुए लेनदेन का ब्योरा खंगाल रही है। यह पता लगाया जा रहा है कि पीड़ितों के खातों से ट्रांसफर की गई रकम ए, बी व सी कैटेगरी के कहां के खातों में भेजी गई है। साइबर थाने के जांच अधिकारी एसआई गुलाम हुसैन का कहना है कि ट्रैकिंग के लिए होमवर्क किया जा रहा है। वर्चुअल नंबर से ये किए गए डिजिटल अरेस्टगोमततीनगर निवासी एक डॉक्टर को जालसाजों ने दस अप्रैल को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 95 लाख रुपये ट्रांसफर करवाए हैं। इसके अलावा 12 अप्रैल को इंदिरानगर की योग टीचर से 8 लाख और 18 अप्रैल को इंदिरानगर के एचएएल कर्मी से 18 लाख रुपये ऐंठे हैं। साइबर थाने की जांच में सामने आया है कि तीनों लोगों को वर्चुअल कॉल के जरिए ही जाल में फंसाया गया। डिजिटल अरेस्ट करने का तरीका भी एक जैसा है, इसलिए साइबर थाने की पुलिस इस गैंग का पीछा करने में जुटी है। सिर्फ दो नंबर पहचान कर कर सकते हैं बचावसाइबर क्राइम के स्पेशलिस्ट पुलिसकर्मियों का कहना है कि जिस नंबर से कॉल किया गया, अगर उसमें शुरुआती नंबर +91 है तो घबराने की जरूरत नहीं है। ये नंबर भारत का ही होगा, लेकिन इसकी जगह कोई भी नए नंबर शुरुआत में हैं तो समझ लीजिए वह फ्रॉडस्टर हैं। वह वर्चुअल कॉल के जरिए आपके जाल में फंसा रहा है। वह बाशिंदा कहीं और का होगा और कॉल किसी दूसरे देश से हो रह होगी, इसलिए अगर आपने इस नंबर के सामान्य कॉल, वॉट्सऐप कॉल या विडियो कॉल को नहीं रिसीव किया तो आप ठगी से बच सकते हैं। एसटीएफ भी ठगों के तलाश में जुटीसाइबर क्राइम सेल व साइबर थाने की पुलिस के अलावा एसटीएफ की साइबर सेल विंग भी देश में फैले साइबर जालसाजों की तलाश में जुटी है। एसटीएफ की सर्विलांस टीम भी इनको दबोचने के लिए बड़े पैमाने पर होमवर्क कर रही है। एसटीएफ के एक अफसर का कहना है कि साइबर थाने और साइबर क्राइम सेल से मिले इनपुट के जरिए इन गैंग्स को क्रैक करने के लिए होमवर्क किया जा रहा है। बीते दिनों पीजीआई की डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर ठगे जाने के मामले में लोकल गैंग को दबोचा जा चुका है। ऐसे कर रहे डिजिटल अरेस्टडिजिटल हाउस अरेस्ट में स्कैमर्स पीड़ित को विडियो कॉल पर डरा-धमकाकर घर पर ही कैद कर ले रहे हैं। जेल भेजने और गिरफ्तारी को लेकर उस पर इस कदर दबाव बना रहे हैं कि वह रकम ट्रांसफर करने पर मजबूर हो जा रहा है। उसे कैमरे के सामने ही यह कहकर रखते हैं कि अगर वह भागा तो घर से निकलते ही अरेस्ट कर लिया जाएगा। डराते हैं कि घर के बाहर सादे कपड़ों में पुलिस लगी है, जबकि ऐसा कुछ नहीं होता है।
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