श्रीकृष्ण वासुदेव मंत्र
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:।।
इस मंत्र का अर्थ है, हे वासुदेव नंदन, परमात्मा स्वरूप श्रीकृष्ण आपका वंदन है। हे गोविंद आपको नमन है। मेरे सभी कष्टों का विनाश करे। सभी क्लेश का नाश करने वाले श्रीकृष्ण, वासुदेव, हरि, परमात्मा, गोविंद को मेरा बारंबार नमन है। इस मंत्र में काफी शक्ति और ऊर्जा मानी जाती है। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के इस मंत्र का 5 बार लंबी-लंबी सांस लेकर जप करने से क्रोध को शांत किया जा सकता है।
मंगल बीज मंत्र
ऊं क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।
मंगल के बीज मंत्र का अर्थ है, मैं भौमा को श्रद्धापूर्वक मन करता हूं। भूमा पुत्र होने की वजह से मंगल को भौमा भी कहा जाता है। मंगल को क्रोध और आवेश का कारक माना जाता है। ऐसे में इस मंत्र के जरिए गुस्से को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। इस मंत्र का जप करने से आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी और व्यक्ति में परिपक्वता बढ़ेगी।
राहु बीज मंत्र
ऊं भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहुवे नम:।
किसी व्यक्ति को अगर बात-बात पर गुस्सा आता है, मन चिड़चिड़ा रहता है, उलझनें रहती हैं, तो यह राहु का लक्षण हो सकता है। ऐसे में राहु के इस बीज मंत्र के जप से गुस्से को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है। यह मंत्र व्यक्ति को नकारात्मकता का मुकाबला करने की भी शक्ति देता है। व्यक्ति की आभा को बढ़ाता है।
वैष्णव मंत्र का ध्यान और जप
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय।
(अथवा, विष्णु शान्ताकारं मंत्र)
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णुं भवभ्यहरं सर्वलोकैकनाथम्।।
माना जाता है कि वैष्णव मंत्र अपने आप में काफी शक्तिशाली मंत्र है। इसके जप से भगवान विष्णु की कृपा पाई जा सकती है और जिस पर भगवान विष्णु की कृपा रहेगी उसे क्या ही परेशानियां होगी। और जब परेशानियां नहीं होंगी तो फिर क्रोध किस बात पर आएगा। आशय यह है कि वैष्णव मंत्र के ध्यान और जप से मन को शांत और संयमित किया जा सकता है।
विष्णु शान्ताकारं मंत्र के लाभ
यहां 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का अर्थ है- मैं भगवान वासुदेव या विष्णु जी को नमन करता हूं। इसी तरह विष्णु शान्ताकारं मंत्र का अर्थ है- जिनकी आकृति और स्वरूप बहुत ही शांत है, जो जगत के आधार और देवताओं के भी ईश्वर हैं, जो शेषनाग की शैय्या पर विश्राम कर रहे हैं, जिनकी नाभि में कमल है और जिनका वर्ण श्याम है, जिनके बहुत ही सुंदर रूप का योगी ध्यान करते हैं और जो गगन (आसमान) के समान सभी जगहों पर छाए हैं, जो जन्म और मरण के भय का विनाश करते हैं, जो सभी लोकों के स्वामी हैं, और जिनकी सभी भक्त वंदना करते हैं, ऐसे लक्ष्मीपति कमल के समान आंखों वाले भगवान विष्णु को अनेक तरह से विनती करते हुए प्रणाम करता हूं।
कहा जाता है कि ब्रह्मा, शिव, इंद्र, वरुण आदि भी भगवान विष्णु की दिव्य स्तोत्रों से स्तुति गाते हैं। वेदों के जरिए उनका गुणगान करते हैं, देवता और असुर उनके अंत को नहीं पाते हैं। ऐसे भगवान नारायण की स्तुति गाकर काम, क्रोध, मद, लोभ आदि से मुक्ति पाई जा सकती है।
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