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ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की नाकामी से बौखलाया चीन, भारत का मुकाबला करने को अब देगा अपना सबसे घातक हेलीकॉप्टर Z-10e

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बीजिंग/इस्लामाबाद: भारत के ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को पानी-पानी होता देख ड्रैगन पूरी तरह से बौखला गया है। उसे लग रहा था कि पाकिस्तान, भारत के खिलाफ कुछ देर तो टिका रहेगा, लेकिन पाकिस्तान एक घंटे भी नहीं टिक पाया। जिसके बाद अब चीन ने पाकिस्तान को 3.7 अरब डॉलर का नया लोन देने का फैसला किया है, जिससे पाकिस्तान की रक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए हथियार खरीदे जाएंगे। हालांकि वो हथियार भी चीनी ही होंगे। इस बीच नई रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन, पाकिस्तान को Z-10ME अटैक हेलीकॉप्टर भी देने जा रहा है, जिसे उसे भारत के LCH प्रचंड हेलीकॉप्टर को काउंटर करने के लिए बनाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हेलीकॉप्टर को पाकिस्तान में असेंबल किया जाएगा और इसमें तुर्की की हथियारों को इंटीग्रेट किया जाएगा। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने पिछले साल 156 LCH प्रचंड हेलीकॉप्टर का ऑर्डर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को दिया था। ये ऑर्डर करीब 6.1 अरब अमेरिकी डॉलर का है। LCH प्रचंड हेलीकॉप्टर को उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे लद्दाख और सियाचीन ग्लेशियर में ऑपरेशंस को अंजाम देने के लिए बनाया गया है।रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन, इस साल पाकिस्तान को कम से कम पांच Z-10ME हेलीकॉप्टर सौंपने वाला है। पाकिस्तान ने इससे पहले अमेरिका से AH-1Z वायवर हेलीकॉप्टर और तुर्की से T129 ATAK हेलीकॉप्टर खरीदने की कोशिश की थी। लेकिन निर्यात प्रतिबंधों की वजह से दोनों देशों ने अपने हेलीकॉप्टर बेचने से इनकार कर दिया। तुर्की ने अपने हेलीकॉप्टर को अमेरिकी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए बनाया था इस वजह से वो पाकिस्तान को ये हेलीकॉप्टर नहीं बेच सकता है। जिसके बाद अब पाकिस्तान ने चीन की मदद से पाकिस्तान में ही हेलीकॉप्टर बनाने का प्लान तैयार किया है। पाकिस्तान में बनेंगे Z-10ME हेलीकॉप्टरपाकिस्तान अपने देश की डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता बढ़ाना चाहता है इसलिए वो चीन की मदद से Z-10ME हेलीकॉप्टर का स्वदेशी निर्माण चाहता है। पाकिस्तान इस हेलिकॉप्टर को अपनी जमीनी जरूरतों के मुताबिक आतंकवादी अभियान चलाने के लिए बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में इस्तेमाल करने के अलावा एलओसी में निगरानी के लिए करना चाहता है। वहीं Z-10ME के स्थानीय निर्माण को मजबूत करने के लिए पाकिस्तान ने हेलीकॉप्टर में अत्याधुनिक हथियारों को इंटीग्रेट करने के लिए तुर्की से मदद मांगी है। तुर्की ने अपने T129 ATAK प्रोग्राम के जरिए हेलिकॉप्टर टेक्नोलॉजी में वैश्विक पहचान बनाई है। हालांकि अमेरिकी इंजन के कारण पाकिस्तान-तुर्की T129 डील नहीं हो पाई, लेकिन तुर्की के पास जो अपने इलेक्ट्रॉनिक्स और एवियोनिक्स हैं, वो पाकिस्तान के लिए काफी मूल्यलवान हो सकते हैं।माना जा रहा है कि Z-10ME हेलीकॉप्टर में तुर्की के UMTAS एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, जिसकी फायरिंग रेंज 8 किलोमीटर है, से शामिल किया जा सकता है, जो एक 'फायर एंड फॉरगेट' मिसाइल है। इसके अलावा तुर्की के लेजर गाइडेड रॉकेट्स, एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट के साथ साथ नेविगेशन के लिए एडवांस सेंसर को भी इस हेलीकॉप्टर में लगाने की योजना है। जहां भारत के प्रचंड हेलीकॉप्टर की सबसे बड़ी ताकत उसकी ऊंचाई पर ऑपरेशन को अंजाम देने की क्षमता है, जो उसे सियाचिन और लद्दाख जैसे क्षेत्रों में अद्वितीय बनाती है, वहीं Z-10ME की ताकत उसका भारी पेलोड और तुर्की हथियारों से संभावित अपग्रेडेशन हो सकता है। भारतीय हेलीकॉप्टर को खरीगने के लिए नाइजीरिया, अर्जेंटीना और फिलीपींस जैसे देशों ने गहरी दिलचस्पी दिखाई है और भारत नजदीकी भविष्य में अपने हेलीकॉप्टरों को बेच सकता है।
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