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ऑपरेशन सिंदूर: शशि थरूर के समर्थन में उतरे दिग्गज कांग्रेसी, बोले पार्टी ने'लिस्ट' से बाहर रखकर किया 'अपमान'

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नई दिल्ली: कांग्रेस नेता के सुधाकरन ने शशि थरूर का नाम 'ऑपरेशन सिंदूर' और पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद पर भारत का पक्ष रखने के लिए विदेश दौरे पर जाने वाले नेताओं की कांग्रेसी सूची से बाहर रखने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे थरूर का 'अपमान' बताया है। सुधाकरन का कहना है कि शशि थरूर एक सक्षम नेता और पार्टी के वफादार सदस्य हैं। इसलिए उन्हें इस तरह अलग-थलग करना ठीक नहीं है। थरूर को केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत का पक्ष रखने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया था। जबकि, कांग्रेस ने इसके लिए आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार के नाम दिए थे। लेकिन सरकार ने थरूर को चुना, जिससे विवाद हो गया। 'शशि थरूर के पार्टी छोड़ने की अफवाह गलत'पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सुधाकरन ने थरूर के पार्टी छोड़ने की अफवाहों को भी गलत बताया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने थरूर से बात की है और उन्हें विश्वास है कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष पद से हटाए जाने पर राहत महसूस करने की बात कही और कहा कि वह पार्टी के प्रति वफादार रहेंगे। वह चुनाव संबंधी कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेंगे और बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने राज्य में एलडीएफ (LDF) सरकार की चौथी वर्षगांठ के जश्न पर भी सवाल उठाए और कहा कि केरल की प्रमुख सड़कें या तो ढह रही हैं या बह रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पर राज्य के लिए कुछ नहीं करने और विकास के लिए रखे गए पैसे पर बैठे रहने का आरोप लगाया। 'थरूर को लिस्ट से बाहर रखना बेवजह का विवाद'के सुधाकरन ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि थरूर को लिस्ट से बाहर करना 'एक अनावश्यक विवाद' था। थरूर ने केंद्र सरकार के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए कहा था कि उन्हें इसमें कोई राजनीति नहीं दिखती। कांग्रेस ने सरकार को आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नसीर हुसैन और राजा बरार के नाम भेजे थे। लेकिन सरकार ने कांग्रेस की सूची को दरकिनार करते हुए थरूर को प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का काम सौंपा। सुधाकरन ने कहा कि थरूर के पार्टी छोड़ने की अफवाहें सच नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने उनसे बात की है। मुझे विश्वास है कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे।' 'किसी का कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना' में अंतर गौरतलब है कि मोदी सरकार ने विदेश जाने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का चुनाव अपनी ओर से किया है। इसमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर एक प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे हैं। लेकिन, उनके नाम पर खुद उनकी कांग्रेस पार्टी ने ही न सिर्फ आपत्ति जताई, बल्कि अपनी ओर से अलग नाम भी भेज दिए। कांग्रेस की इस लिस्ट में थरूर का नाम नहीं था। वहीं सरकार की लिस्ट में सिर्फ आनंद शर्मा ही ऐसे कांग्रेस नेता थे, जो कांग्रेस की लिस्ट में भी शामिल थे। कांग्रेस की ओर से थरूर के बारे में यहां तक टिप्पणी की गई कि 'किसी का कांग्रेस में होना और कांग्रेस का होना' में अंतर है। 'केरल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष से हटाए जाने से राहत'केपीसीसी के पूर्व अध्यक्ष सुधाकरन ने कहा कि उन्हें पार्टी के शीर्ष पद से हटाए जाने पर 'राहत' मिली है। उन्होंने कहा कि वह इससे दुखी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह हमेशा पार्टी के प्रति वफादार रहेंगे। कांग्रेस ने उन्हें कई वर्षों में बहुत साथ दिया है और उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी हैं। सुधाकरन ने कहा कि वह राजनीति से दूर नहीं रहेंगे और पार्टी को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे। वह राज्य भर में चुनाव संबंधी कार्यों में भाग लेंगे। इसके लिए वह बूथ स्तर की समितियों का दौरा करेंगे और कार्यकर्ताओं को मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने कहा, 'मुझे नए केपीसीसी प्रमुख से इसकी अनुमति मिल गई है।' 'प्रमुख हाइवे या तो ढह रहे हैं या बह रहे हैं'एलडीएफ सरकार की चौथी वर्षगांठ के जश्न पर सुधाकरन ने कहा कि यह तब हो रहा है जब केरल के प्रमुख राजमार्ग 'या तो ढह रहे हैं या बह रहे हैं'। उन्होंने कहा, 'केरल के मुख्यमंत्री ने इस मामले पर कोई जवाब नहीं दिया है। हमें यह जानने की जरूरत है कि हमें इसके परिणामस्वरूप कितने करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और उनकी सरकार ने राज्य या उसके लोगों के लिए कुछ नहीं किया है। वे केरल के विकास के लिए रखे गए पैसे पर बैठे हैं।
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