नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि मौजूदा हालात इतने न बदल जाएं कि पक्षकारों के अधिकार प्रभावित हों। केंद्र ने मांगा समयसुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान वक्फ संशोधन ऐक्ट के कुछ संशोधनों पर चिंता जताते हुए अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, आदेश पारित करने से पहले केंद्र ने समय मांगा था, जिसके बाद मामला गुरुवार के लिए स्थगित कर दिया गया था। गुरुवार को जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी कानून को स्थगित करना चाहे सीधे तौर पर हो या परोक्ष रूप से, एक असाधारण कदम होता है। सिर्फ प्रारंभिक अध्ययन के आधार पर ऐसा नहीं किया जा सकता। क्या बोली सरकार?उन्होंने कहा कि हमें लाखों रिप्रेजेंटेशन प्राप्त हुए हैं, जिसके अध्ययन के बाद यह संशोधन हुआ है। गांवों को वक्फ घोषित कर दिया गया, निजी संपत्तियां भी वक्फ में शामिल कर दी गईं। इससे अनेक निर्दोष लोगों को प्रभावित किया गया है। मेहता ने यह भी कहा कि अदालत कानून के प्रावधानों को बिना समुचित सहायता के स्थगित कर एक गंभीर और कठोर कदम उठा रहा है। उन्होंने दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। 'पक्षकारों के अधिकार प्रभावित न हों'इस पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हमारे पास एक विशेष परिस्थिति है। हमने कुछ खामियों की ओर इशारा किया है और कुछ सकारात्मक बातें भी मानी हैं। हम नहीं चाहते कि वर्तमान स्थिति इतनी बदल जाए कि इससे पक्षकारों के अधिकार प्रभावित हों। उदाहरण के लिए 5 वर्षों का इस्लाम प्रैक्टिस करने वाला प्रावधान हम उसे स्थगित नहीं कर रहे हैं। आप सही कह रहे हैं कि सामान्यतः अदालतें कानूनों को स्थगित नहीं करते, लेकिन एक और सिद्धांत है कि जब याचिका न्यायालय के सामने पेंडिंग हो, तब वर्तमान स्थिति में ऐसा बदलाव न हो, जिससे किसी के अधिकार प्रभावित हों।इस दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल केवल केंद्र सरकार की ओर से बोल सकते हैं, राज्यों की ओर से नहीं (जो बोर्ड में नियुक्ति करते हैं)। इस पर मेहता ने कहा कि अदालत यह आदेश दे सकती है कि यदि कोई राज्य ऐसी नियुक्ति करता है, तो वह शून्य (void) मानी जाएगी। वहीं, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता केंद्र के उत्तर की प्रति प्राप्त होने के 5 दिन के भीतर अपनी प्रति-उत्तर (rejoinder) दाखिल कर सकते हैं।
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