News India Live,Digital Desk: ऋषिकेश: चारधाम यात्रा 30 अप्रैल से शुरू होने वाली है, और देश-विदेश से श्रद्धालु पवित्र धामों के दर्शन के लिए ऋषिकेश पहुंचने लगे हैं। लेकिन यात्रा की शुरुआत के साथ ही एक पुराना विवाद फिर से गरमा गया है – चारधाम यात्रा और इसके आसपास के व्यावसायिक क्षेत्रों में मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग।
पहलगाम हमले का असर और श्रद्धालुओं का गुस्सा
इस मांग के पीछे हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हिंदू पर्यटकों पर हुआ आतंकी हमला (22 अप्रैल) एक बड़ी वजह बनकर उभरा है। हमले से नाराज कुछ श्रद्धालुओं ने खुलकर कहा कि चारधाम यात्रा में मुस्लिमों का प्रवेश पूरी तरह बंद कर देना चाहिए। उनका मानना है कि पहलगाम जैसी घटनाओं के बाद सुरक्षा की दृष्टि से यह प्रतिबंध लगाना बहुत ज़रूरी है।
स्थानीय रोजगार और बाहरी व्यवसाय पर चिंता
उधर, चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम में भी मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा किए जा रहे व्यवसाय को लेकर कुछ हिंदू संगठनों ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि चारों धामों – बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री – में मुस्लिम समुदाय के लोगों को व्यवसाय करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए।
कई स्थानीय लोग और श्रद्धालु भी मानते हैं कि इन चारों धामों में होटल, घोड़े-खच्चर चलाने और अन्य व्यवसायों में स्थानीय निवासियों को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए। आरोप लगाए जा रहे हैं कि बाहरी लोग, खासकर मुस्लिम समुदाय के लोग, स्थानीय लोगों को कुछ पैसे देकर उनके नाम पर व्यवसाय चला रहे हैं, जिससे स्थानीय लोगों को काम नहीं मिल पा रहा है। कुछ लोगों ने यह सवाल भी उठाया कि प्रशासन को जांच करनी चाहिए कि केदारनाथ में सैकड़ों घोड़े-खच्चर कैसे एक ही व्यक्ति के नाम पर दर्ज हैं।
सत्यापन और अन्य मांगें
कुछ श्रद्धालु मानते हैं कि प्रतिबंध न भी लगे, तो कम से कम चारधाम आने वाले हर व्यक्ति का उचित सत्यापन (वेरिफिकेशन) होना बेहद जरूरी है। वहीं, कुछ महिला श्रद्धालुओं ने स्पष्ट रूप से मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रतिबंध के साथ-साथ मुस्लिम घोड़ा-खच्चर संचालकों को भी हटाने और यह काम हिंदुओं को देने की मांग की।
मंदिर समिति और धार्मिक नेताओं का रुख
इस पूरे विवाद पर बद्री-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय थपलियाल ने कहा कि उनके पास शासन (सरकार) की ओर से इस संबंध में कोई निर्देश नहीं है और वह इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे।
हालांकि, शांभवी पीठाधीश्वर और काली सेना के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप ने चारधाम में गैर-हिंदुओं (विशेषकर मुस्लिमों) के प्रवेश पर रोक लगाने की पुरजोर वकालत की है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर दूसरे धर्म के लोगों की वास्तव में चारधाम में आस्था है, तो वे शपथ पत्र (Affidavit) देकर दर्शन के लिए जा सकते हैं। स्वामी आनंद स्वरूप ने मुस्लिम घोड़ा-खच्चर संचालकों के पंजीकरण पर भी पूरी तरह से रोक लगाने की मांग की।
मुस्लिम समाज की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों ने इस तरह की प्रतिबंध की मांग को “गैर-जिम्मेदाराना” बताया है। उनका कहना है कि यह कुछ लोगों की अपनी सोच हो सकती है, लेकिन भारत हमेशा से गंगा-जमुनी तहजीब वाला देश रहा है, जहां सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हुए भाईचारे से रहते आए हैं। उन्होंने कहा कि वे चारधाम के यात्रियों का स्वागत करते हैं और हिन्दू-मुस्लिम को लेकर ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए जो माहौल खराब करे।
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