ज्योतिष: सनातन धर्म के अनुसार, भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है। भक्त जब इसे शिवजी को अर्पित करते हैं, तो उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। बेलपत्र चढ़ाने का फल एक करोड़ कन्याओं के दान के बराबर माना जाता है। इसलिए, यदि आप शिव की पूजा करने जा रहे हैं, तो बेलपत्र लाना न भूलें।
बेलपत्र को एक अद्भुत शक्ति का स्रोत माना जाता है और इसे सभी सिद्धियों का आश्रय माना गया है। यदि आप इस वृक्ष के नीचे भगवान शिव की आराधना करते हैं, तो आपको अपार फल और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
यह भी कहा जाता है कि बेलपत्र के वृक्ष के नीचे मां लक्ष्मी का वास रहता है। इसके अलावा, बेलपत्र कई रोगों के उपचार में भी सहायक होता है। सुबह-सुबह सूर्य को जलाभिषेक करते समय, आप बेलपत्र को अर्पित कर सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, लिंगपुराण में कहा गया है कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति और सोमवार के दिन बेलपत्र अर्पित करने के लिए किसी विशेष समय की आवश्यकता नहीं है। भगवान शिव के प्रिय होने के कारण, यह सभी देवी-देवताओं को भी प्रिय है।
जब आप बेलपत्र भगवान शिव को अर्पित करना चाहते हैं, तो पूजा के दिन से एक दिन पहले बेलपत्र तोड़कर उसे गंगाजल में रखना चाहिए। ध्यान रखें कि बेलपत्र में तीन से कम पत्ते नहीं होने चाहिए और यह दूषित या खंडित नहीं होना चाहिए।
बेलपत्र की डंडी को तोड़कर, तीन या उससे अधिक पत्तों के साथ भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए। इसे हमेशा शिवलिंग पर पत्ते की तरफ से अर्पित करना चाहिए।
यदि बेलपत्र पर चंदन या अष्टगंध से 'ॐ', शिव पंचाक्षर मंत्र या शिव का नाम लिखा जाए, तो सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। कालिका पुराण के अनुसार, चढ़ाए गए बेलपत्र को सीधे हाथ के अंगूठे या तर्जनी से ही उतारना चाहिए।
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