भारतीय संस्कृति में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है, जो सभी प्रकार की बाधाओं और कष्टों को दूर करने वाले माने जाते हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में सबसे पहले श्री गणेश का स्मरण किया जाता है। यदि घर में अशांति या बार-बार झगड़े हो रहे हों, तो गणेश अष्टकम मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भगवान गणेश के आठ रूपों की महिमा का वर्णन करता है। यह न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मकता का भी स्रोत है। नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करने से मानसिक तनाव कम होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
गणेश अष्टकम मंत्र की विशेषताएँ
गणेश अष्टकम एक संस्कृत स्तोत्र है, जिसमें भगवान गणेश के विभिन्न गुणों और शक्तियों का वर्णन किया गया है। इसे आदि शंकराचार्य ने लिखा था, जो भारतीय धर्म-दर्शन के महान विचारक माने जाते हैं। यह स्तोत्र भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और जीवन की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में सहायक होता है।
गणेश अष्टकम का प्रभाव
आज के तनावपूर्ण जीवन में, पारिवारिक कलह और मानसिक बीमारियाँ आम हो गई हैं। ऐसे में शास्त्रों में बताए गए उपाय संतुलन बनाने में मदद कर सकते हैं।
गणेश अष्टकम का जाप करने से:
- मन में शांति और संतुलन आता है, जिससे क्रोध और विवाद की प्रवृत्ति कम होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, जिससे घर का वातावरण शुद्ध और शांत होता है।
- नकारात्मक विचारों, भय और तनाव से मुक्ति मिलती है।
- नियमित जाप से एकाग्रता बढ़ती है, जिससे निर्णयों में स्पष्टता और धैर्य मिलता है।
- यह वास्तु दोष और ग्रह दोष से होने वाली समस्याओं से भी मुक्ति दिलाता है।
जाप की विधि और समय
गणेश अष्टकम का जाप किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन बुधवार, गणेश चतुर्थी या संकष्टी चतुर्थी के दिन इसका विशेष महत्व है।
जाप की विधि:
- सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- लाल फूल, दूर्वा और मोदक चढ़ाएं।
- फिर श्रद्धा और एकाग्रता के साथ गणेश अष्टकम का पाठ करें।
- संभव हो तो इसे लगातार 21 या 40 दिन तक करें।
आधुनिक विज्ञान की दृष्टि
गणेश अष्टकम एक धार्मिक ग्रंथ होने के साथ-साथ इसके नियमित पाठ से उत्पन्न ध्वनि तरंगें मानव मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। शोध से यह सिद्ध हुआ है कि नियमित मंत्र जाप से तनाव पैदा करने वाले हार्मोन "कॉर्टिसोल" की मात्रा कम होती है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। यही कारण है कि आज योग और ध्यान विधियों में भी मंत्रों का प्रयोग बढ़ रहा है।
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