काम करते वक्त इंसान से कभी ना कभी कोई गलती हो ही जाती है। कभी छोटी, कभी बड़ी, लेकिन जब यही गलती किसी ऑफिस या कंपनी में होती है, तो बॉस की डांट आम बात हो जाती है। इस डांट से पुरुषों को तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि वे इसे सहन कर लेते हैं और काम में वापस लग जाते हैं। लेकिन जब बात महिलाओं की आती है, तो यह स्थिति कुछ अलग हो जाती है। महिलाएं स्वभाव से ज्यादा इमोशनल होती हैं और जरा सी डांट पर उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। इसके बाद वे चुपके से बाथरूम की ओर रुख करती हैं ताकि कोई न देखे और अपने आंसू पोंछ सकें। लेकिन इस दौरान काम रुक जाता है, और कंपनी की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
अब इस समस्या का एक बेहद अनोखा समाधान जापान की एक कंपनी ने निकाला है। इस कंपनी ने एक ऐसी रणनीति अपनाई है, जो महिलाओं के काम में बाधा न बने और उनका मानसिक संतुलन भी बना रहे। यह जापान की एक प्रगतिशील कंपनी है, जहां महिलाओं की भावनाओं का ख्याल रखते हुए एक नया और अद्वितीय कदम उठाया गया है। इस कदम का नाम है "आंसू पोंछने वाली सेवा"।
क्या है "आंसू पोंछने वाली सेवा"?इस सेवा के अंतर्गत, कंपनी ने ऐसे पुरुषों को हायर किया है, जिनका काम सिर्फ महिला कर्मचारियों के आंसू पोंछना है। जापान के एक उद्योगपति हिरोकी तेराई ने इस सेवा को शुरू किया। उनका मानना था कि अक्सर महिलाएं काम के दौरान इमोशनल हो जाती हैं, खासकर जब बॉस से डांट पड़ती है। ऐसी स्थिति में महिलाएं अपने आंसू नहीं रोक पातीं और बाथरूम चली जाती हैं, जिससे उनका काम रुक जाता है। यह ना सिर्फ उनकी उत्पादकता को प्रभावित करता था, बल्कि कंपनी की कार्यप्रणाली भी बाधित हो रही थी।
इस समस्या का हल निकालते हुए, हिरोकी तेराई ने यह सेवा शुरू की, जिसमें स्मार्ट और हैंडसम पुरुष कर्मचारियों को तैनात किया गया है। इन कर्मचारियों का काम है कि वे महिला कर्मचारियों के आंसू पोंछें, ताकि उन्हें मानसिक शांति मिले और उनका काम प्रभावित न हो।
यह सेवा क्यों है महत्वपूर्ण?जापान में कई महिलाएं कामकाजी जीवन के तनाव से जूझती हैं। उनकी नौकरी, परिवार की जिम्मेदारियां और समाजिक दबाव — ये सभी मिलकर उन्हें मानसिक रूप से थका देते हैं। ऐसे में जब काम के दौरान कोई गलती हो जाती है और बॉस से डांट पड़ती है, तो ये महिलाएं अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पातीं। उन्हें एक सहायक की आवश्यकता महसूस होती है, जो उन्हें समझे और उनके आंसू पोंछकर उन्हें सुकून दे सके।
यहां पर हैंडसम पुरुषों की भूमिका महत्वपूर्ण है। इन पुरुषों का काम केवल आंसू पोंछना नहीं है, बल्कि वे महिला कर्मचारियों को मानसिक सहारा भी प्रदान करते हैं। उनके पास रुमाल होता है, और वे महिला कर्मचारियों के लिए एक विश्वासपात्र की तरह होते हैं, जो उनका मनोबल बढ़ाते हैं और उन्हें महसूस कराते हैं कि वे अकेली नहीं हैं।
यह सेवा महिलाओं के लिए क्यों है खास?जापान की महिलाएं इस सेवा को लेकर काफी खुश हैं। जब कोई सुंदर और स्मार्ट पुरुष उनके पास आकर उनके आंसू पोंछता है, तो उन्हें मानसिक राहत मिलती है। इसके बाद, वे खुद को बेहतर महसूस करती हैं और काम में उनकी उत्पादकता भी बढ़ती है। यह सेवा महिलाओं के लिए एक तरह से सामाजिक और मानसिक समर्थन का काम करती है।
इसके अलावा, जब पुरुष महिला कर्मचारियों के आंसू पोंछते हैं, तो यह एक सकारात्मक मानसिकता भी उत्पन्न करता है। महिलाएं महसूस करती हैं कि उन्हें समझा जा रहा है और उनके दर्द को सराहा जा रहा है। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे बेहतर काम करने के लिए प्रेरित होती हैं।
क्या इस सेवा का कोई नकारात्मक पहलू है?हालांकि यह सेवा जापान में काफी चर्चित हो चुकी है और कई कंपनियां इसे अपनाने की सोच रही हैं, लेकिन कुछ आलोचक इसका विरोध भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह एक लिंगभेदी कदम हो सकता है, जहां पुरुषों को महिलाओं के आंसू पोंछने का काम सौंपा गया है। कुछ का मानना है कि यह महिलाएं खुद को मानसिक रूप से सक्षम बनाए और उनकी भावनाओं को संभालने के लिए उन्हें और अधिक प्रशिक्षण दिया जाए।
इसके बावजूद, इस सेवा के समर्थक मानते हैं कि यह महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य और कार्यकुशलता को बेहतर बनाने के लिए एक बहुत ही सहायक कदम है।
निष्कर्षजापान की इस अनोखी पहल ने एक नई दिशा दिखाई है कि कैसे कंपनियां अपनी महिला कर्मचारियों के लिए संवेदनशीलता दिखा सकती हैं। यह सेवा न केवल महिलाओं की भावनाओं का सम्मान करती है, बल्कि उन्हें काम पर ध्यान केंद्रित करने का मौका भी देती है। यदि यह सेवा अन्य देशों में भी अपनाई जाए, तो यह न केवल महिलाओं के लिए, बल्कि समग्र कार्यक्षेत्र के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है।
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