जम्मू, 8 मई . जम्मू क्षेत्र में सभी मस्जिदों और मदरसों के दरवाजे विस्थापित सीमा निवासियों के लिए खुले हैं प्रमुख मुस्लिम विद्वान मुफ्ती सगीर अहमद ने गुरुवार को कहा कि जब वह पाकिस्तानी गोलाबारी के पीड़ितों के लिए रक्तदान करने के लिए दर्जनों युवाओं में शामिल हुए.
पुंछ जिले में बुधवार को भारी पाकिस्तानी गोलाबारी के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं की अपील के बाद यहां के पास बठिंडी में मदरसा मरकज-उल-मारीफ द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था जिसमें 13 लोग मारे गए और 44 घायल हो गए.
संस्थान के प्रमुख अहमद ने कहा कि हमने सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए यह शिविर लगाया है ताकि हमारे अस्पतालों में रक्त की कमी न हो इस्लाम हमें सिखाता है कि एक जीवन बचाना पूरी मानवता को बचाने के समान है. उन्होंने कहा कि देश और इसके लोगों को इस महत्वपूर्ण मोड़ पर उनकी जरूरत है और वे सीमा पर घायल लोगों के लिए रक्तदान करने के लिए आगे आए हैं.
अहमद ने कहा कि हमने अपने मदरसों इस्लामिक मदरसों और मस्जिदों को सीमा निवासियों के लिए तैयार रखा है अगर उन्हें स्थानांतरित किया जाना है. यह इस्लाम की शिक्षा है और हम इसका पालन कर रहे हैं. अगर हम एक इंसान की जान बचा सकते हैं तो हम मानवता को बचा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षक और छात्र दोनों स्वेच्छा से रक्तदान कर रहे हैं और अब तक 50 यूनिट से अधिक रक्त एकत्र किया जा चुका है जिसे जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज जीएमसी अस्पताल के ब्लड बैंक में जमा किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि हम लोगों को उनके धर्म से परे अपना समर्थन देने के लिए तैयार हैं.ँ
हम किसी के भी साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं चाहे वह प्रशासन से हो या आम जनता से. जम्मू क्षेत्र में कई मस्जिदें और मदरसे मरकज़ से जुड़े हुए हैं. जम्मू यात्रा गाइड स्वयंसेवकों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने पिछले दो दिनों में विभिन्न स्थानों पर रक्तदान शिविर आयोजित किए जबकि जम्मू उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन भी शुक्रवार को यहां जिला न्यायालय परिसर में ऐसा ही एक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहा है. वकीलों के संगठन ने कहा कि संघर्ष के इस मौजूदा समय में मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए एसोसिएशन जम्मू में रक्त बैंकों में रक्त की कमी को पूरा करने के लिए रक्तदान शिविर का आयोजन कर रहा है.
उन्होंने सदस्यों से आगे आकर स्वेच्छा से रक्तदान करने का अनुरोध किया. इस बीच जामिया जिया-उल-इस्लाम नामक एक शैक्षणिक संस्थान लगभग 50 लोगों को आवास प्रदान कर रहा है जिनमें से अधिकांश सीमावर्ती निवासी हैं जिन्हें पिछले दिन भीषण सीमा पार गोलाबारी के बीच निकाला गया था. प्रवक्ता ने कहा कि जामिया जिया-उल-इस्लाम इस मुश्किल हालात में देश के लोगों के साथ खड़ा है. अगर सीमा पर रहने वाले किसी भी व्यक्ति को किसी तरह की मदद की ज़रूरत है तो संस्था मदद के लिए मौजूद है.
/ राधा पंडिता
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