प्रधानमंत्री संसदीय कार्यालय में ज्ञापन सौंपने से रोके जाने पर कार्यकर्ताओं में आक्रोश, कार्यालय की दीवार पर चस्पा किया ज्ञापन
वाराणसी, 22 अप्रैल . वाराणसी में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की घटनाओं के विरोध में मंगलवार को विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने संयुक्त रूप से प्रतिरोध मार्च निकाला. यह मार्च वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की जन्मस्थली (अस्सी) से शुरू होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय कार्यालय, गुरुधाम जवाहर नगर विस्तार तक पहुंचा.
मार्च के दौरान कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की. “स्याही सूख नहीं पाती अखबारों की, नई खबर आ जाती बलात्कारों की”, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ धोखा है, देश बचाओ मौका है”, और “कैसे रोके जाएं बलात्कार, सोचना होगा सत्ता को”—जैसे नारों से माहौल गूंज उठा.
मार्च के समापन पर जब प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय में ज्ञापन देने पहुंचा, तो पुलिस ने बैरिकेडिंग कर उन्हें रोक दिया. इस पर कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया और उन्होंने ज्ञापन की एक प्रति फाड़ दी, जबकि दूसरी प्रति कार्यालय की दीवार पर चस्पा कर विरोध दर्ज कराया.
कांग्रेस के वाराणसी महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने बताया कि ज्ञापन की एक प्रति स्पीड पोस्ट के माध्यम से नई दिल्ली स्थित पीएमओ को भी भेज दी गई है. उन्होंने कहा, “पिछले एक दशक से उत्तर प्रदेश में महिलाओं की स्थिति को लेकर एनसीआरबी के आंकड़े ही काफी हैं. विशेषकर वाराणसी में महिला उत्पीड़न की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है.”
उन्होंने बताया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की एक छात्रा के साथ बलात्कार की घटना के बाद भी कई मामले सामने आए हैं, जिनमें हाल ही में एक गरीब छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना ने जनाक्रोश को और बढ़ा दिया है. हमारी सर्वदलीय मांग है कि शोषण, बलात्कार की कोई घटना जिले में कहीं भी हो, उस पर पीड़िता और उसके परिजनों की तत्काल मदद की जाए,इसकी प्राथमिकी ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (मोबाइल ,व्हाटसप) से सूचना मिलने पर दर्ज हो. तमाम अवैध स्पा और हुक्का बार की जांच कर उनके खिलाफ एक हफ्ते में बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई की जाए. नहीं तो विपक्षी दल एक टास्क फोर्स बनाकर छापा मारकर कानूनी ढंग से उसे बंद कराएंगे.
इस प्रतिरोध मार्च में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, सीपीएम, सीपीआई (माले), राष्ट्रीय जनता दल, सामाजिक इंसाफ मोर्चा सहित कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए. प्रमुख नेताओं में डाॅ. हीरालाल, अरविन्द सिंह (पूर्व एमएलसी), राजेश्वर पटेल, राघवेंद्र चौबे, संजीव सिंह, रीबू श्रीवास्तव, फसाहत हुसैन बाबू, डॉ. राजेश गुप्ता, अरुण सोनी, सतनाम सिंह, राजीव राम, विनोद सिंह कल्लू और ऋषभ पांडेय आदि शामिल रहे.
/ श्रीधर त्रिपाठी
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