नई दिल्ली, 19 अप्रैल . कांग्रेस नेता एवं लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को अपनी राजनीतिक यात्रा के पीछे की गहरी प्रेरणाओं के बारे में खुलकर बात की और पूर्व प्रधानमंत्री एवं अपने परदादा पंडित जवाहरलाल नेहरू से प्रेरणा लेने की बात कही. यह बातचीत पूर्व सांसद संदीप दीक्षित के साथ पॉडकास्ट-शैली में की गई है. इसमें राहुल ने इस बात पर जोर दिया कि उन्हें सत्ता नहीं बल्कि सत्य की खोज ज्यादा प्रेरित करती है. उन्होंने पारिवारिक कहानियों, व्यक्तिगत प्रथाओं और नेहरू, महात्मा गांधी, डॉ भीमराव आंबेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं की स्थायी विरासत पर विचार किया.
राहुल गांधी ने कहा कि संदीप दीक्षित के साथ इस पॉडकास्ट-शैली की बातचीत में मैं इस बारे में बात करता हूं कि मुझे क्या प्रेरित करता है- सत्य की खोज- और यह खोज मेरे परदादा जवाहरलाल नेहरू से कैसे प्रेरित है. वह केवल एक राजनेता नहीं थे. वह एक साधक, एक विचारक, एक ऐसा व्यक्ति था जो खतरे में मुस्कुराते हुए आगे बढ़ा और मजबूत होकर निकला. उनकी सबसे बड़ी विरासत सत्य की उनकी अथक खोज में निहित है- एक सिद्धांत, जिसने उनके द्वारा अपनाई गई हर चीज को आकार दिया. उन्होंने हमें राजनीति नहीं सिखाई, उन्होंने हमें डर का सामना करना और सच्चाई के लिए खड़ा होना सिखाया. खोज करने, सवाल करने, जिज्ञासा में निहित रहने की जरूरत, यह मेरे खून में है.
नेहरू का जिक्र करते हुए राहुल कहते हैं कि मेरी दादी उन्हें पापा कहती थीं. उन्होंने मुझे कहानियां सुनाईं कि कैसे वह अपने पसंदीदा पहाड़ों में एक ग्लेशियर में लगभग गिर गए थे, कैसे जानवर हमेशा हमारे परिवार का हिस्सा थे या कैसे उन्होंने कभी भी व्यायाम का एक घंटा भी नहीं छोड़ा. मेरी मां अभी भी बगीचे में पक्षियों को देखती हैं. मैं जूडो करता हूं. ये सिर्फ़ शौक नहीं हैं- ये हमारी पहचान है. हम निरीक्षण करते हैं. हम अपने आस-पास की दुनिया से जुड़े रहते हैं. और जो हम सबसे गहराई से रखते हैं, वह है शांत शक्ति के साथ चुनौतियों का सामना करने की प्रवृत्ति.
राहुल गांधी कहते हैं कि यही वह है, जो गांधी, नेहरू, आंबेडकर, पटेल और बोस वास्तव में सिखा रहे थे: डर से दोस्ती कैसे करें. समाजवाद नहीं, राजनीति नहीं- सिर्फ़ साहस. गांधी एक ऐसे साम्राज्य के सामने खड़े हुए, जिसके पास सिर्फ़ सच्चाई थी. नेहरू ने भारतीयों को उत्पीड़न का विरोध करने और अंततः स्वतंत्रता प्राप्त करने का साहस दिया. कोई भी महान मानवीय प्रयास- विज्ञान, कला, प्रतिरोध- यह सब भय का सामना करने से शुरू होता है. और यदि आप अहिंसा के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो सत्य ही आपका एकमात्र हथियार है. चाहे उनके साथ कुछ भी किया गया हो, वे इससे पीछे नहीं हटे. यही बात उन्हें महान नेता बनाती है.
राहुल ने कहा कि चाहे मैं बिल गेट्स से बात कर रहा हूं या चेतराम मोची से, मैं उनसे एक ही जिज्ञासा के साथ मिलता हूं. क्योंकि वास्तविक नेतृत्व नियंत्रण के बारे में नहीं है. यह करुणा के बारे में है. और आज के भारत में जहां सत्य असुविधाजनक है, मैंने अपना चुनाव कर लिया है. मैं इसके लिए खड़ा रहूंगा. चाहे कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े.
—————
/ दधिबल यादव
You may also like
दिमाग में तरावट लाने और कमजोरी दूर करने का रामबाण उपाय ⤙
राजस्थान के लिए प्लेऑफ की उम्मीदें लगभग खत्म, शेन बॉन्ड बोले- अब भी बहुत कुछ दांव पर
कहीं आपके Aadhar Card का गलत इस्तेमाल तो नहीं हो रहा है? अब सिर्फ में करें मालूम ⤙
Garena Free Fire Max Redeem Codes 28 April 2025: आज मिल रहे हैं वेपंस, पेट्स, नई गाड़ियां और नए कैरेक्टर्स, अभी रिडीम करें
जब बहू ने सास का किया मेकअप, सोशल मीडिया पर मच गया धमाल