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एशियाई देशों से रिश्ते मजबूत करने में जुटा चीन

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-डेविड हट

एक ओर चीन, राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में इस क्षेत्र में दोस्ती और सहयोग का माहौल बना रहा है और दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारी टैरिफ लगाकर आर्थिक दबाव बढ़ा दिया है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग गुरुवार, 17 अप्रैल को कंबोडिया पहुंचे। यह उनके एक हफ्ते लंबे दक्षिण-पूर्वी एशिया दौरे का आखिरी पड़ाव था जिसमें वह पहले वियतनाम और मलेशिया भी गए थे।

हालांकि यह यात्रा कई महीनों पहले ही तय की गई थी, लेकिन यह ऐसे समय पर हुई जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंपकी नीतियों के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली पूरी तरह उलझ गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली पूरी तरह उलझ गई है। ऐसे में चीन इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश में है।

अमेरिका में आने वाले कई देशों के सामान पर भारी टैक्स लगा दिया गया। कंबोडिया से आने वाले उत्पादों पर 49 फीसदी, वियतनाम से आने वाले उत्पादों पर 46 फीसदी और दूसरे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के सामान पर 20 से 30 फीसदी तक टैक्स लगाया गया। इससे व्यापार, निवेश और वित्तीय बाजारों पर बुरा असर पड़ रहा है। दक्षिण-पूर्वी एशिया सहित ज्यादातर देश वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका जता रहे हैं। कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने इस साल के लिए इस क्षेत्र के आर्थिक बढ़त के अनुमान को भी घटा दिया है।

9 अप्रैल को जब यह टैरिफ लागू हुए, उसके कुछ ही समय बाद ट्रंप ने घोषणा की कि इन शुल्कों को 90 दिनों के लिए रोका जाएगा लेकिन चीन पर लगाए गए टैरिफ (145 फीसदी) जारी रहेंगे। इस बीच अमेरिका हर देश के साथ अलग-अलग व्यापार समझौते करने की कोशिश करेगा।

चीन को एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति दिखाने की कोशिश

सोमवार को वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव तो लाम, के साथ बैठक में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि उनके देश और वियतनाम ने मिलकर इस 'उथल-पुथल भरी दुनिया' में 'स्थिरता और भरोसा' कायम किया है।

शी जिनपिंग ने कहा, 'दुनिया इतिहास में बदलाव के मोड़ पर खड़ी है,' और ऐसे समय में चीन और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों को 'साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।' वॉशिंगटन में नेशनल वॉर कॉलेज के प्रोफेसर, जाखरे अबूजा ने डीडल्यू को बताया कि शी जिनपिंग पहले से मजबूत संबंधों को और मजबूत कर रहे है।

अबूजा के अनुसार 'शी जिनपिंग चीन को एक आर्थिक रूप से स्थिर और सहयोगी शक्ति के रूप में पेश कर रहे हैं जिसका दक्षिण-पूर्वी एशिया के साथ 980 अरब डॉलर से भी ज्यादा का व्यापार है।' वह अमेरिका की तुलना में चीन को 'भरोसेमंद, सहयोगी और सभी के लिए फायदेमंद व्यापार और निवेश में रुचि रखने वाला देश' के रूप में पेश कर रहे हैं।

पिछले 10 सालों से अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश, चीन को एक 'परिवर्तनकारी ताकत' के रूप में दिखाते आए हैं। एक ऐसा देश जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों की अनदेखी करता है, खासकर दक्षिण चीन सागर में जमीन के दावों को लेकर आक्रामक है और गरीब देशों को सस्ते सामान बेचकर वैश्विक व्यापार को बिगाड़ता है।

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ,हंटर मार्स्टन ने डीडब्ल्यू को बताया कि डोनाल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के कारण, 'अब शी जिनपिंग चीन को स्थिर शक्ति और अमेरिका को एक अस्थिर और बाधा पैदा करने वाली शक्ति के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।'

क्या यह दौरा सिर्फ प्रतीकों तक सीमित रहा?

वियतनाम में, शी जिनपिंग की मौजूदगी में दोनों देशों के बीच 45 नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। आइएसईएएस यूसुफ ईशाक इंस्टिट्यूट के शोधकर्ता खाक जियांग गुयेन ने डीडब्ल्यू को बताया कि इस समझौते की सबसे बड़ी उपलब्धि वियतनाम के उत्तरी हिस्से को चीन के दक्षिणी हिस्से से जोड़ने वाली रेल लिंक है।

हनोई और बीजिंग कई सालों से 2 पुरानी रेलवे लाइनों को अपग्रेड करने पर बातचीत कर रहे थे, जो 1 सदी पहले फ्रांसीसी शासन के दौरान बनाई गई थी। अब दोनों देशों ने सीमा पार 2 नई रेल लाइनों के निर्माण पर सहमति जताई है। हालांकि खाक के अनुसार इस रेल परियोजना और कुछ फोटो सेशन के अलावा, कोई ठोस जानकारी या समझौते सामने नजर नहीं आए।

उन्होंने कहा, 'बयानबाजी में अस्पष्ट भाषा और देर से आए सार्वजनिक बयान यह दिखाते हैं कि हनोई और शायद कुछ दूसरे देश, चीन की बात को अपने तरीके से पेश करने की कोशिशों का विरोध कर रहे थे।' इसलिए 'यह दौरा प्रतीकों से भरा हुआ था, लेकिन असल उपलब्धियां उस संख्या के मुकाबले बहुत कम थी जिसे बातों में दिखाने की कोशिश की गई।'

आसियान के साथ मुक्त व्यापार आगे बढ़ाना चाहते हैं शी जिनपिंग

मलेशिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 'वैश्विक व्यवस्था और आर्थिक वैश्वीकरण के झटकों' से बचने के लिए एकजुट रहने की अपील की।मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम, जो अमेरिका से गाजा युद्ध में इस्राएल को समर्थन देने को लेकर नाराज हैं, उन्होंने भी इसी तरह की बात कही। उन्होंने चेतावनी दी कि दुनिया 'आर्थिक जनजातीयता' की ओर लौट रही है यानी हर देश सिर्फ अपने फायदे की सोच रहा है।

कुआलालंपुर में शी जिनपिंग ने कई सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए और चीन व दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों (आसियान) के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत तेज करने की अपील की। शी ने कहा कि वह चाहते हैं कि यह समझौता 'जितनी जल्दी हो सके' उतना बेहतर। मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने मीडिया से कहा, 'अपने लोगों की भलाई, अपने आर्थिक हितों और देश की स्थिरता व विकास के लिए, हम चीन सरकार के साथ खड़े हैं।'

चीन का पक्का दोस्त

इसके बाद शी जिनपिंग कम्बोडिया पहुंचे जिसे चीन का 'सबसे पक्का दोस्त' कहा गया, जो कि ट्रंप के टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में एक हो सकता है। कंबोडिया की सरकार के अनुसार देश का लगभग 40 फीसदी निर्यात, खासकर कपड़ा, अमेरिका को बेचा जाता है। हालांकि, चीन कंबोडिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। साल 2024 में दोनों देशों के बीच 15 अरब डॉलर से ज्यादा का व्यापार हुआ, जो कंबोडिया के कुल व्यापार का लगभग 30 फीसदी है। इसके अलावा, कंबोडिया में कुल निवेश का भी आधे से ज्यादा हिस्सा चीन से आता है।

शी जिनपिंग का रीम नेवल बेस जाने का भी कार्यक्रम था। हाल ही में चीन की कंपनियों से कई साल की मरम्मत कराने के बाद फिर से खोला गया है। अमेरिका 2018 से दावा करता रहा है कि कंबोडिया इस नौसैनिक अड्डे को चीन की सेना को विशेष रूप से उपयोग करने देगा, लेकिन कंबोडिया और चीन दोनों ने इस बात से इंकार किया है।

शी की यात्रा ऐसे समय हुई है जब कंबोडिया 'फॉल ऑफ नोम पेन्ह' की 50वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1975 में चीनी-समर्थित खमेर रूज ने राजधानी नोम पेन्ह पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद 4 साल तक एक क्रूर शासन चला जिसमें लगभग 20 लाख लोगों की जान गई।

शी जिनपिंग का दौरा मददगार होगा या नुकसान पहुंचाएगा?

सोमवार को शी जिनपिंग की हनोई यात्रा के जवाब में डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से चीन और वियतनाम पर अमेरिका को 'नुकसान पहुंचाने की साजिश रचने' का आरोप लगाया। लेकिन यह अभी साफ नहीं है कि शी का यह दौरा इन तीनों दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (वियतनाम, मलेशिया, कंबोडिया) को अमेरिकी शुल्क से राहत पाने में मदद करेगा या रुकावट बनेगा।

कंबोडिया ने वादा किया है कि वह अमेरिका से आने वाले ज्यादातर सामानों पर लगने वाले टैक्स को बहुत हद तक कम करेगा, जबकि वियतनाम ने कहा है कि वह अमेरिकी सामानों पर सभी टैक्स हटाएगा और अमेरिका से ज्यादा सामान खरीदेगा।

एक तरफ, चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच बढ़ते व्यापारिक रिश्ते ट्रंप के कुछ सलाहकारों को परेशान कर रहे हैं। खासतौर पर पीटर नवारो को, जो ट्रांसशिपमेंट को लेकर चिंतित हैं। ट्रांसशिपमेंट से मतलब है कि कहीं चीन अपने सामान को दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के रास्ते अमेरिका भेजे, ताकि वह सीधे तरीके से टैरिफ से बच सकें। हाल ही में नवारो ने वियतनाम पर आरोप लगाया कि वह 'कम्युनिस्ट चीन की कॉलोनी बन गया है, क्योंकि वह चीन के लिए ट्रांसशिपमेंट के रास्ते की तरह काम करता है।'

अबूजा ने कहा, 'ट्रंप गिले-शिकवे नहीं भूलते, इसलिए मुझे नहीं लगता कि शी जिनपिंग का दक्षिण-पूर्व एशिया में जो गर्मजोशी से स्वागत हुआ है, वो वॉशिंगटन में अनदेखा किया जाएगा खासकर अगले 80 दिनों तक, जब तक टैरिफ पर रोक लगी है।' वहीं, कंबोडिया के एक प्रमुख थिंक टैंक फ्यूचर फोरम के अध्यक्ष विराक ओउ ने कहा है, 'शी का गर्मजोशी से स्वागत ट्रंप को मजबूर कर सकता है कि अमेरिका फिर से संतुलन बनाए और इस क्षेत्र के देशों को भरोसा दिलाए।'

जबकि मार्स्टन का कहना है कि शी जिनपिंग की यह यात्रा दक्षिण-पूर्व एशिया को मोल-भाव की ताकत दे सकती है। 'अगर चीन इन देशों को इतना सम्मान दे रहा है तो इसका मतलब है कि उनके पास विकल्प हैं और अगर अमेरिका उन्हें नजरअंदाज करेगा तो नुकसान अमेरिका को ही होगा।' फिलहाल, शी जिनपिंग वही बातें कह रहे हैं जो दक्षिण-पूर्वी एशियाई सरकारें सुनना चाहती हैं। ज्यादातर देश अब चीन को लेकर अपनी नाराजगी भूलने को तैयार दिख रहे हैं, क्योंकि व्हाइट हाउस की नीतियां उनकी आर्थिक हालत और वैश्विक व्यापार को लगातार नुकसान पहुंचा रही हैं।

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